नेट-थियेट पर जमीं गीत और ग़ज़ल की महफिल ‘मै रोया परदेस में भीगा मां का प्यार’

नेट-थियेट पर जमीं गीत और ग़ज़ल की महफिल 'मै रोया परदेस में भीगा मां का प्यार'

जयपुर: नेट-थियेट पर राजस्थान के जाने-माने गायक गीतकार और कंपोजर अशोक मुखर्जी ने अपनी पुरकशिश आवाज में जब मै रोया परदेस में भीगा मॉ का प्यार.. दुःख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार गाई तो कायनात में बैठी मां अपने लाडले को दुलार करने लगी। नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि मंच पर अल्बर्ट हॉल की सज्जा में मेलोडियस ब्रीथ से अशोक मुखर्जी ने सीतेश आलोक का गीत नदिया बहती जाये रे एवं तारों से आ रही लोरी लोरी गा कर महौल का ममतामयी बना दिया।

इसके बाद उन्होंने विजय वर्मा का लिखा गीत *और कुछ हम गीत गा लें साथ ही नसीम रीफ़अत की ग़ज़ल तुमसे उम्मीद लगाई क्यूं है, हमनें ये शमां जलाई क्यूं है एवं *सोचता हॅू कभी-कभी तन्हां ग़ज़ल पेश की तथा अंत में पछतायेगा पछतायेगा फिर गया समय नही आयेगा भजन प्रस्तुत किया। उनके साथ तबले पर सलामत हुसैन, वॉयलिन पर गुलजार हुसैन एवं गिटार पर बिलाल हुसैन ने सधी संगत से कार्यक्रम को परवान चढाया। प्रकाश मनोज स्वामी, मंच सज्जा जितेन्द्र शर्मा व अंकित शर्मा नोनू की रही तथा संगीत विष्णू कुमार जांगिड का रहा।

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