@ डॉ. कमलेश शर्मा
यों तो राजस्थान का दक्षिणाचंल बांसवाड़ा अपने बेनज़ीर शिल्प-स्थापत्य और लूठी-अनूठी परंपराओं के चिरंतन काल से जाना-पहचाना जाता है परंतु गर्मियों की ऋतु में आने वाले फलों के राजा ‘आम’ की चर्चा हो तो बात कुछ ‘खास’ ही हो जाती है। वागड़ गंगा माही से सरसब्ज बांसवाड़ा जिला फलों के उत्पादन के लिए भी सर्वथा उपयुक्त है और यहीं वजह है कि यहां पर आम की कुल 46 प्रजातियों की हरसाल बंंपर पैदावार होती है।
इन दिनों इन सभी प्रजातियों के आम बाजार में भरपूर उपलब्ध है और वागड़वासी इसके अमृतमयी रस का लुत्फ उठा रहे हेैं,लेकिन लॉकडाउन ने देश के अन्य हिस्सों तक इन रसीले आमोंं की पहुंच को रोक डाला हैं। आम मुख्य रूप से समीपस्थ गुजरात तथा मध्य प्रदेश के कई बड़े शहरों में जाता है।
अरब देशों तक है मांग
अरब देशों में रहने वाले यहां के प्रवासी भी आम की ऋतु में इन्हें ले जाना नहीं भूलते। यहां के आम उत्पादक शीघ्र लॉकडाउन समाप्त होने की कामना कर रहे है ताकि बांसवाड़ा से बाहर भी आम भेजे जा सके। ताऊ ते तूफान ने भी आम की पैदावार को प्रभावित किया हैा। इसके चलते आम से बने विभिन्न उत्पाद आम अचार , आम पाक, मुरब्बा, अमचूर इत्यादि कम मात्रा में ही बिक्री के लिए बाजार में आ पाएंगे।
देसी रसीले आम की भी 18 प्रजातियां
देखा जाए तो बांसवाड़ा जिले में परंपरागत रूप से पैदा होने वाली देसी रसीले आम की 18 प्रजातियों के साथ देशभर में पाए जाने वाली उन्नत किस्म की 28 अन्य प्रजातियों का भी उत्पादन होता है। जिले में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संचालित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, बोरवट (बांसवाड़ा) पर भी बड़े क्षेत्र में मातृ वृक्ष बगीचे स्थापित हैं जिसमें देशी व उन्नत विभिन्न किस्म की कुल 46 प्रजातियों की आम किस्मों का संकलन है। यहां पर आम के ग्राफ्टेड पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाये जाते हैं।उद्यान विभाग के अधीन गढ़ी कस्बे में ‘राजहंस नर्सरी’ भी स्थापित है जहां से विभिन्न उन्नत किस्मों के आम के पौधे किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाये जाते हैं।
इन प्रजातियों का होता है बड़े पैमाने पर उत्पादन
जिले के विभिन्न बगीचों में आम की किशन भोग, बोम्बे ग्रीन, बोम्बई, केसर, राजस्थान केसर, फजली, मूलागो, बैगनपाली, जम्बो केसर गुजरात, स्वर्ण रेखा, बंगलौरा, नीलम, चौसा, दशहरी, मनकुर्द, वनराज, हिमसागर, जरदालु, अल्फांजो, बजरंग, राजभोग, मल्लिका, लंगड़ा, आम्रपाली, फेरनाड़ी, तोतापूरी, रामकेला आदि 28 प्रजातियों का तो उत्पादन होता ही है, साथ ही देसी रसीले आम की 18 प्रजातियों यथा टीमुरवा, आँगनवाला, देवरी के पास वाला, कसलवाला, कुआवाला, आमड़ी, काकरवाला, लाडुआ, हाडली, अनूप, कनेरिया, पीपलवाला, धोलिया, बारामासी, बनेसरा, सागवा, कालिया, मकास आदि प्रजातियों का भी उत्पादन होता है। सबसे खास बात है कि आम की 18 स्थानीय प्रजातियां रेशेदार है और इनका उत्पादन सिर्फ दक्षिण राजस्थान में ही होता है।
पाकिस्तान की नूरजहाँ और ढाई किलों का डायमंड भी
पाकिस्तान के चौसा भी यहां पैदा होते हैं जिन्हें नूरजहाँ नाम दिया गया है। दूसरा ढाई किलों के एक आम की वैरायटी भी है जिसे डायमंड नाम से जाना जाता है, हालांकि इनका उत्पादन सीमित है।
फलोत्पादन का 86 प्रतिशत सिर्फ आम
बांसवाड़ा में फलों के कुल 45 हजार 443 मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले सिर्फ आम का उत्पादन 39 हजार 120 मीट्रिक टन है जो कुल फलोत्पादन का 86 प्रतिशत है।
पहले ‘मेंगो फेस्टिवल’ से मिली आम को पहचान
राजस्थान का पहला मेंगो फेस्टिवल 7 से 9 जून, 2019 तक ‘बांसवाड़ा मेंगो फेस्टिवल, 2019Ó के नाम से हुआ। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य यहां पैदा होने वाले आम की स्थानीय और उन्नत किस्मों से जनसामान्य को रूबरू कराना, किसानों को आम बगीचे लगाने के लिए प्रेरित करना तथा उद्यमियों को आम प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना था। इसके साथ ही ‘मेेंगो हब’ के रूप में विकसित हो रहे बांसवाड़ा जिले का नाम राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने की सोच थी जो सफल रही।
बांसवाड़ा में आमों को घर-घर पहुंचाने की अनूठी पहल
कोरोना महामारी के चलते लागू किए गए लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते इस बार यहां का आम बाहर तो ज्यादा जा नहींं पा रहा। बांसवाड़ा में उपजने वाले आमों का लुत्फ उठाने से वागड़वासी वंचित न रह जाए। जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह की पहल पर जिला पर्यटन उन्नयन समिति एवं सहकारी उपभोक्ता भंडार बांसवाड़ा के संयुक्त तत्वावधान में श्री एकलिंगनाथ प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार एवं न्यू राज फार्म के माध्यम से घर-घर आम पहुंचाने की व्यवस्था की है। इस व्यवस्था के प्रति स्थानीय लोगों मेंं भी जबर्दस्त उत्साह है।
लोग ऑनलाईन ऑर्डर दे रहे हैं और घर पर पहुंचने वाले आमों का लुत्फ उठा रहे हैं। आमों के ऑर्डर पर होम डिलीवरी के लिए व्यवस्थाओं में डॉ.विवेक व्यास, जयेश व्यास, अनंत जोशी, सुभाष मेहता, चिराग आचार्य एवं देवर्षि भट्ट की टीम सहयोग कर रही है।
इस तरह हो रही होम डिलीवरी
उपभोक्ता भंडार के महाप्रबंधक योगेंद्र सिंह सिसोदिया ने बताया कि जिला प्रशासन की पहल पर एकलिंगनाथ प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार के द्वारा ऑनलाईन स्टोर तैयार किया है जिस पर कोई भी व्यक्ति न्यूनतम पांच किलो आम का ऑर्डर दे सकता है। ऑनलाईन ऑर्डर प्राप्त होते ही तीन पहिया वाहनों व बाईक से ऑर्डर देने वाले के पते तक भेजा जा रहा हैं। ये वाहन व बाईकधारी बांसवाड़ा शहर और पांच किलोमीटर के दायरे में डिलीवरी कर रहे हैँ। उपभोक्ता भंडार के ऑनलाईन स्टोर का एड्रेस https://d-emart630.dotpe.in/ है जिस पर कोई भी व्यक्ति अपना ऑर्डर दे सकता है।
व्हाट्सअप पर भी ऑर्डर
जिला पर्यटन उन्नयन समिति के सचिव हेमांग जोशी ने बताया कि मोबाइल एप्प के साथ ही व्हाट्सअप पर भी आमों के ऑर्डर लेने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत मोबाईल नंबर 9413104488 तथा 8209392352 पर कोई भी व्यक्ति मैसेज करते हुए ऑर्डर दे सकता है।
(लेखक वर्तमान में जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय, उदयपुर में उपनिदेशक पद पर सेवारत हैं। मोबाइल-9414111123)