-वह शख्स है हेल्प इंडिया फाउंडेशन के फाउंडर डॉ. जगदीश पारीक
-आलीशान कोठियों से लेकर झुग्गी वाले सब जुड़े हैं हेल्प इंडिया से
@ImpactVoice.News Bureau
आमतौर पर एक पिता का सपना होता है कि उसका बेटा पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी में ऊंचे ओहदे तक पहुंच नाम रोशन करें, लेकिन कोई पिता यह नहीं चाहता कि उसका बेटा झुग्गी झोंपड़ियों में जाकर वहां के बच्चों व युवाओं के लिए कुछ करें। परिवार वालों की सोच से अलग हटकर डॉ. पारीक ने 2018 में हेल्प इंडिया ऑनलाइन फाउंडेशन की स्थापना की। पिता तो चाहते थे कि उनका बेटा सरकारी मास्टर बने ताकि उसे गृहस्थी चलाने के साथ दाल-रोटी की व्यवस्था में कोई दिक्कत ना आए। बेटा मास्टर तो बना पर स्कूली बच्चों को एबीसी…, क, ख, ग या 1 से 100 तक गिनती सिखाने वाला नहीं। लाखों लोगों को अपने पैरों पर खड़ा होने का जज्बा सिखाने वाली पढ़ाई का मास्टर।


सुख-दु:ख में भागीदारी के लिए बनाया हेल्प इंडिया परिवार
सुख-दुःख में भागीदारी के लिए हेल्प इंडिया ऑनलाइन फाउंडेशन की स्थापना भी पारीक के बचपन की यादों तथा अध्ययनकाल के दौरान घटित एक वाकये से प्रेरित हैं।
वे बताते है कि बचपन में गांव में देखा था कि एक व्यक्ति के घर में कोई मांगलिक अथवा अन्य कोई कार्य होता था तो पूरा गांव मदद में जुट जाता था। ऐसे ही न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान देखने को मिला कि एक बीमार महिला के इलाज में कैसे सोसायटी के लोगों ने मिलकर लाखों डॉलर की मदद चुटकियों में कर डाली। हेल्प इंडिया का गठन भी ऐसी ही सोच की पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से किया गया है।


डॉ. पारीक ने इसके लिए पहले सभी संभावनों का अध्ययन किया और शिक्षा के साथ सामाजिक ढांचे में बदलाव की सोच के साथ हेल्प इंडिया गठन की कार्ययोजना को मूर्तरूप दिया। यहीं कारण है कि मात्र तीन सालो में ही हेल्प इंडिया से सदस्यों का बड़ा कुनबा जुड़ गया। हेल्प इंडिया के इस प्लेटफार्म में आलीशान कोठियों से लेकर झुग्गी में रहने वाले वे सब जुड़े हुए हैं जो सकारात्मक सोच के साथ कुछ करना चाहते हैं।


लाखों लोगों के ऑइकॉन है डॉ. पारीक
ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले डॉ. जगदीश पारीक का नाम आज भले ही करोड़ों रुपए कमा देश के टॉप धनकुबेरों में शामिल ना हो,पर वे उन लाखों लोगों के आइकॉन है जो हेल्प इंडिया के माध्यम से अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। डॉ. पारीक अपने गांव से निकले भी थे कुछ ऐसे ही मिशन को लेकर। “मैं केवल खुद के रोजगार तक सीमित न रहूं” । मेरे साथ हजारों-लाखों लोग भी कुछ न कुछ करें ,जिन्होंने भी जिंदगी में मेरी तरह बेहतरी के सपने संजो रखे हैं। सबको साथ लेकर चलने तथा पूरी टीम के लिए काम करने की इसी सामूहिक सोच ने हेल्प इंडिया को जन्म दिया।


हेल्प इंडिया का पहला ध्येय रोजगार
हेल्प इंडिया का तो पहला ध्येय ही अपने सदस्यों को रोजगार उपलब्ध करवाने का है। हेल्प इंडिया ने अपने ही सदस्यों को खुद के उत्पाद बेचने के लिए देशभर में जगह-जगह खिड़कियां उपलब्ध करवाई है। इन खिड़कियों में बिना किसी बाध्यता के उत्पाद सभी सदस्यों के समक्ष प्रदर्शित किए गए ताकि वे इन्हें खरीद सके। उच्च क्वालिटी व गुणवत्ता वाले इन उत्पादों की बिक्री पर खास बात यह है कि निर्माता को उत्पाद का तय मूल्य मिलने के बाद बाकी लाभांश उन सदस्यों में बंट जाता है जो हेल्प इंडिया परिवार से जुड़े हैं। खरीददार को भी 10 प्रतिशत का केस बेक। उत्पाद बेच अपने पैरों पर खड़े होने के इस प्लेटफार्म से हेल्प इंडिया के सदस्यों को बड़ी तादाद में रोजगार मिला हुआ है, लेकिन उत्पादों की बिक्री पर यह शर्त है कि उत्पाद सदस्यों को रियायती मूल्य पर मिले। अगर उत्पाद अधिक मूल्य का है तो उसकी खासियत क्या है? जो उसे बाजार में मिलने वाले समकक्ष उत्पादों से अलग साबित करती हो।
हेल्प इंडिया फाउंडेशन बनाने का उद्देश्य अन्य एलएमएल कंपनियों की तरह चैन सिस्टम चला केवल उत्पाद बेच लाभ कमाने जैसा भी कतई नहीं है। हेल्प इंडिया स्वयं कोई प्रोडेक्ट ही नहीं बनाती जिससे अपने सदस्यों पर बिक्री जबरन थोंपे जाने का ठप्पा लगे। उत्पाद सदस्यों के ही है। हेल्प इंडिया ने तो केवल अपने सदस्यों को उत्पाद बेचने के लिए खिड़की उपलब्ध करवा रखी है।

बच्चों के लिए बैगलेस स्कूल
हेल्प इंडिया ने समाज में शिक्षा के लिए उचित वातावरण तैयार कर 8 कोर एजुकेशन कोर्स तैयार किए है । बच्चों के लिए बैगलेस स्कूल खोले गए है । जहां पर भविष्य की जरुरत के अनुसार बच्चों के लिए रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे कोर्सेज पढ़ाये जाते है। साथ ही बच्चों के शारीरिक विकास के लिए मार्शल आर्ट और जिम्नास्टिक की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके साथ ही बच्चों के लिए ऑनलाइन पढने वाली 10,000 से अधिक किताबें पब्लिश की है। इन ऑनलाइन किताबों को जो भी बच्चा पढना चाहे वह पढ़ सकता है इसके लिए हेल्प इंडिया का सदस्य होने की बाध्यता भी नहीं है।

यूथ अप- स्किलिंग
हेल्प इंडिया का बेहतर भारत निर्माण के लिए अपने सदस्यों के लिए सामाजिक कार्यक्रम यूथ अप- स्किलिंग है। इस मिशन के तहत, युवाओं के कौशल को बढ़ाने, उन्हें बेहतर रोजगार और काम के अवसर दिलाने का मुख्य ध्येय है। यह कार्यक्रम युवाओं को बाजार में मौजूदा रोजगार के अवसरों के बारे में शिक्षित करने और उन्हें अपने कौशल को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करने पर केंद्रित है। हेल्प इंडिया ऑनलाइन एक समुदाय आधारित मंच बनाने वाला पहला संगठन है। यह मंच युवाओं को कैरियर परामर्श और कौशल निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करता है। अब तक 229 युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान किये जा चुके हैं। इसके लिए नामी स्किल यूनिवर्सिटी से टाइअप कर रखा है।

कम्युनिटी प्लेटफार्म
हेल्प इंडिया का सबसे बड़ा परोपकार वाला काम कम्युनिटी प्लेटफार्म का है। डॉ. जगदीश पारीक बताते हैं कि हेल्प इंडिया ऑनलाइन एक समुदाय आधारित ऐसा मंच है जिसके इस प्लेटफॉर्म के द्वारा कोई भी जरूरतमंद मदद के लिए आवेदन कर सकता है और समाज के सभी व्यक्ति मिलकर छोटी-छोटी सहायता करके उस व्यक्ति की मदद करते है। हेल्प इंडिया की कम्युनिटी हेल्प द्वारा बच्चियों के विवाह, गंभीर बीमारी, दुर्घटना और मृत्यु पर मदद प्रदान की जाती है । इस अभिनव सामाजिक सहायता कार्यक्रम चलाने के लिए हेल्प इंडिया को एशिया हेल्पिंग हेंड अवार्ड 2020/2021 से सम्मानित किया गया है। कोरोना काल में ही हेल्प इंडिया ने जरुरमंद परिवारों को 4 करोड़ रुपए की मदद की।

प्रिवेंटिव हेल्थ ट्रेनिंग
शिक्षा और सहायता के साथ ही लोगों को अच्छा स्वास्थ्य मिले इसके लिए भी मिशन प्रिवेंटिव हेल्थ की शुरुआत की गयी है,जिसमें लोगों को अच्छे प्रिवेंटिव उत्पादों के साथ ही आयुर्वेदाचार्य और योगाचार्य द्वारा प्रिवेंटिव हेल्थ ट्रेनिंग दी गयी।

विदेशों तक विस्तार
डॉ. जगदीश पारीक का देश को पूरी तरह से शिक्षित, स्वस्थ और नियोजित भारत बनाने का लक्ष्य देश में एक नई क्रांति ला रहा है और हर गुजरते दिन के साथ ही इसकी सफलता की राह आसान हो रही है। उसी का परिणाम है कि हेल्प इंडिया परिवार के प्रमुख पदाधिकारियों, विभिन्न सेक्टर के विशेषज्ञों के साथ सदस्यों की बड़ी फौज है। देश-विदेश के नामी संस्थानों से एमओयू हो चुके है। आने वाले दिनों में दुबई सहित कई देशों में हेल्प इंडिया के मुख्यालय नजर आएंगे।
हेल्प इंडिया के फाउंडर डॉ.पारीक केवल स्वयं के लिए नहीं बल्कि समाज और देश की उन्नति के सपने संजोते हुए उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी कर रहे हैं।

डॉ पारीक की जीवन यात्रा
डॉ जगदीश पारीक का जन्म 21 जुलाई 1986 को राजस्थान में नागौर जिले के एक छोटे से गांव जायल के साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। आपके पिताजी राजस्व विभाग में सरकारी कर्मचारी और माता गृहणी है। आपने एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर से विज्ञान संकाय में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद देश के प्रतिष्ठित इंडियन बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। मुंबई के वालचंदनगर में एक वित्त प्रमुख के रूप में थोड़े दिन नौकरी भी की,लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें महसूस हुआ कि इस तरह वे अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाएंगे। जॉब छोड़ मेटा कौशल और तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) के मास्टर कोच बनने के लिए मलेशिया चले गए। वहां बाल मनोविज्ञान की डिग्री के साथ तंत्रिका मनोविज्ञान पर पीएचडी की। वहां से लौटकर डॉ. जगदीश पारीक ने 2008 से शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए 10 वर्षों तक अनवरत कार्य और रिसर्च किया। इस दौरान उन्होंने 2,50,000 से अधिक लोगों को मेटास्किल और न्यूरोसाइंस की ट्रेनिंग प्रदान की। आपने कई पुस्तकें भी लिखी। न्यूरों साइंस पर अंग्रेजी में प्रकाशित उनकी पुस्तक बेस्ट सेलर बनी हुई है। विभिन्न क्षेत्रों में किए गए उल्लेखनीय नवाचारों के लिए डॉ. पारीक को कई पुरस्कार भी राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय मंचों से प्राप्त हो चुके हैं। वर्तमान में पूरा फोकस हेल्प इंडिया के जन-जन तक विस्तार पर है।



आप भी जुड़ सकते हैं हेल्प इंडिया प्लेट फार्म से
वर्तमान में इस फाउंडेशन के ढाई लाख सदस्य हैं। मात्र दस रुपए की साधारण सदस्यता ले आप भी जुड़ सकते हैं। डॉ. पारीक का हेल्प इंडिया परिवार में 5 करोड़ लोगों को जोडने का लक्ष्य है।