देश मे भूगर्भ में सबसे अधिक खजाना (मिनरल) कहीं छिपा है तो वह है राजस्थान। सोने-चांदी से लेकर गैस-पेट्रोल तक अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ। राजस्थान की धरा के कण-कण में अमूल्य रत्न जिस तरह से समाएं है,वैसे ही यहां की प्रतिभाएं भी किसी से कम नहीं हैं।
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की धरा मेवाड़ अंचल के डूंगरपुर क्षेत्र को ही ले तो कहने को तो ये आदिवासी इलाका है। आदिवासी शब्द आते ही इसे अत्यंत पिछड़ा क्षेत्र मान लिया जाता है, पर डूंगरपुर अनेकों सांस्कृतिक विरासत भी समेटे हुए है। स्वच्छ ताज़ा आबोहवा वाले इस खूबसूरत डूंगरपुर शहर ने कई ऐसी प्रतिभाएं भी देश-प्रदेश को दी है जो किसी कोहिनूर से कम नहीं। इन्हीं में से एक नाम है डॉ. विश्वास मेहता का ।
गेपसागर से अरब सागर तक का सफर
गेपसागर (सुंदर प्राकृतिक झील) के किनारे जन्में डॉ.मेहता ने अरब सागर के तट पर बसे केरल में अपनी चमक बिखेर ‘सागर से सागर’ तक ऊंची छलांग लगाई हैं। वह हम सबको गौरवान्वित करने वाली हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे डॉ. विश्वास मेहता जैसे राजस्थान मूल के बहुत ही बिरले अफसर होंगे जो दूसरे प्रदेशों मुख्य सचिव के अहोदे तक पहुंचे हो।
उत्कृष्ट सेवा का मिला पुरस्कार
डॉ. विश्वास मेहता वर्तमान में केरल में मुख्य सूचना आयुक्त हैं यानी केरल में उनकी उत्कृष्ट प्रशासनिक सेवाओं के पुरस्कार स्वरूप ही उन्हें ये पद मिला है। राजस्थान के इस लाल को केरल जैसे सर्वाधिक शिक्षित प्रदेश केरल ने खूब अपणायत दी है। दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ से सटे उदयपुर संभाग के वागड़ अंचल में डूंगरपुर के मूल निवासी डॉ. विश्वास मेहता ने दक्षिणी भारत के खूबसूरत प्रदेश केरल के सर्वोच्च प्रशासनिक मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत होने के बाद मार्च में ही केरल के मुख्य सूचना आयुक्त की बागडौर सम्भाली है। देश के सबसे अधिक साक्षर और आरटीआई मामलों में अग्रणी राज्य केरल के संवैधानिक पद पर उनका यह कार्यकाल तीन वर्षों का हैं।
अंचल के प्रथम आईएएस बनने का गौरव
डूंगरपुर शहर की पुराने शहर की तंग गलियों में निवास करने वाले एक साधारण भट्टमेवाड़ा ब्राह्मण परिवार में पं.नर्वदा शंकर मेहता और जानकी देवी के कनिष्ठ पुत्र प्रीतम कुमार मेहता और सविता मेहता के घर में जन्मे डॉ.विश्वास मेहता वागड़ अंचल के उन नगीनों में से एक है जिन्हें एक सामान्य परिवारों में से अंचल के प्रथम आईएएस बनने का गौरव मिला।
उच्च कुलीन परिवार
डॉ. विश्वास एक सामान्य लेकिन उच्च कुलीन ब्राह्मण परिवार से है। उनके दादाजी पंडित नर्मदा शंकर,नानाजी राष्ट्र कवि गोपाल वल्लभ द्विवेदी, परनाना राजपंडित इच्छानाथ भट्ट और अन्य रिश्तेदारों में फूफाजी कांति नाथ भट्ट ,शंकरलाल जोशी,मनोहर नाथ भट्ट और ताऊजी पुरुषोत्तम मेहता आदि की सामाजिक जीवन में बहुत ही सम्मानीय हैसियत रही हैं। आपकी इकलोती छोटी बहन स्मृति के पति प्रदीप दीक्षित भी वर्षों आईटीसी में शीर्ष पद पर रहें।साथ ही अन्य सगे सम्बंधी भी कई प्रतिष्ठित पदों पर हैं और रहे हैं।
कठिनाइयों को भी झेला
दादाजी के असामयिक निधन के बाद उनकी दादी जानकी देवी बड़े पिता पुरुषोत्तम और पिता प्रीतम मेहता ने जीवन के प्रारम्भिक काल में अनेक कठिनाइयों को झेला,लेकिन परिवार की एकजुटता से विशेष कर भुआ राधिका एवं श्याम सुंदर भट्ट और श्रीमती कृष्णा जोशी के सम्बल से परिवार हर कठिनाई से उबर कर समाज के लिए उदाहरण बना।
शिक्षा
डॉ. विश्वास मेहता की प्रारम्भिक शिक्षा चंडीगढ़ में हुई। पिता के विदेश में शोध अध्ययन में जाने के कारण उन्होंने कुछ समय डूंगरपुर के संत पैट्रिक स्कूल में भी पढ़ाई की। पिता के विदेश से लौटने के पश्चात वे पुनः माता-पिता के पास चंडीगढ़ चले गये । जहां डॉ. मेहता के पिता पंजाब विश्वविध्यालय में भू विज्ञान विभाग में प्रोफेसर थे।
चंडीगढ़ रहते हुए विश्वास ने भूगर्भशास्त्र ज्योलॉजी में स्नातक और स्नातकोत्तर (गोल्ड मेडल के साथ ) तक पढ़ाई की।
1986 बेंच के आईएएस
इसके पश्चात वर्ष 1983 में स्टील ऑथोरेटी ऑफ इण्डिय़ा और बाद में ओएनजीसी में एज्युकेटिव ऑफिसर चयनित होने के बाद वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए तैयारी में जुट गये और इसके प्रथम चरण में 1985 में आईपीएस चुन लिए गए। आपको आईपीएस में मध्यप्रदेश केडर भी मिल गया, लेकिन पिता के आईएएस बनने के सपने को पूरा करने के लिए सर्विस जोईन नही की और पुनः सिविल परीक्षा की तैयारियों में जुट गए। डॉ. विश्वास का अंततोगत्वा अगस्त 1986 में नवमी रेंक के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया। उन्हें केरल राज्य का केडर मिला।
राजसिंह डूंगरपुर वाला डूंगरपुर
मेहता का जन्म स्थल वागड़ अंचल रियासत काल से ही शैक्षिक उन्नयन और उसके माध्यम से प्रतिभाओं का निखर कर आगे लाने वाला रहा है। धरा के इस हुनर की बदौलत राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक डूंगरपुर के पूर्व राज परिवार के सदस्यों के साथ ही क्षेत्र की अन्य कई प्रतिभाओं ने भी विभिन्न क्षेत्रों में अपना परचम फहराया है। राजसिंह डूंगरपुर का नाम तो आज की नई पीढ़ी ने भी सुन रखा होगा। क्रिकेट जगत के महानायक डूंगरपुर यहीं के थे।
वागड़ अंचल के प्रथम आईएएस बनने का गौरव
इस कड़ी में डूंगरपुर शहर की पुराने शहर की तंग गलियों में निवास करने वाले प्रीतम कुमार मेहता और सविता मेहता के परिवार में जन्मे डॉ. विश्वास मेहता वागड़ अंचल के प्रथम आईएएस बनने का गौरव मिला।
केरल के मुख्य सचिव
डॉ विश्वास मेहता ने केरल और भारत सरकार के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएँ देते हुए केरल के मुख्य सचिव का कार्य भार सम्भाला । वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (भाप्रसे )में 1986 बेच के वरिष्ठ अधिकारी हैं। केरल के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं सतर्कता )और प्रदेश में कोविड-19 के ओवर ऑल प्रभारी रहते उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड -19) के विरुद्ध लड़ी जा रही जंग में प्रमुख भूमिका निभाई जिसके कारण केरल माँडल की देश विदेश में विशेष चर्चा में रहा है।
यहां भी दी अपनी सेवाएं
डॉ विश्वास मेहता ने केन्द्र सरकार और केरल सरकार के साथ ही राजस्थान में भी भारत सरकार के पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के मुख्यालय उदयपुर में बतौर निदेशक लगातार छह वर्षों तक अपनी सेवाएँ दी। सेवा के साथ शिक्षा को जारी रखा। पहले एमबीए किया फिर उदयपुर में रहते हुए आपने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि ग्रहण की।
उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपने कैरियर की शुरुआत केरल से की और राज्य के सर्वोच्च प्रशासनिक पद मुख्य सचिव तक का सफ़र पूरा करने से पहले उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएँ दी। वे दिल्ली में कला और संस्कृति मंत्रालय में उप सचिव एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मन्त्रालय में संयुक्त सचिव रहने के साथ ही केरल के रेसीडेंट कमिशनर भी रहें।
संगीत एवं गायन प्रेमी
डॉ. विश्वास मेहता बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उन्हें अपने परिवार से विरासत में संगीत और गायन की कला मिली। जिसे उन्होंने प्रशासनिक व्यस्तताओं के बीच भी अपनी इस प्रतिभा को और अधिक बेहतर ढंग से निखारा। पश्चिम सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक रहते उन्होंने उदयपुर में म्यूज़िक लवर्स क्लब की स्थापना करवाई। केरल और दिल्ली में भी इन गतिविधियों को आगे बढ़ाया। उनके कई गीतों की रिकॉर्डिंग यू ट्यूब,आकाशवाणी और दूरदर्शन आदि में भी उपलब्ध हैं।
विश्वास की उड़ान में जीवन संगिनी प्रीति का भी बड़ा योगदान
डॉ विश्वास मेहता के लम्बे प्रशासनिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में उनके माता- पिता के साथ ही उनकी जीवन संगिनी धर्मपत्नी श्रीमती प्रीति मेहता का भी उल्लेखनीय योगदान रहा हैं। प्रीति के साथ विवाह बंधन में बंधने के पश्चात वागड़ का यह लाल अपने क्षेत्र के नाम को लगातार गौरवान्वित करते हुए आगे बढ़ता गया।
प्रीति दिग्गज कांग्रेस नेता तथा राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री और असम एवं मेघालय के राज्यपाल रहे स्व.हरिदेव जोशी की सुपौत्री हैं। पिता दिनेश जोशी भी यूथ काँग्रेस के वरिष्ठ नेता रहने के साथ ही राजस्थान स्वायत्त शासन संस्था के अध्यक्ष और बाँसवाड़ा नगर पालिकाध्यक्ष रहे हैं।
एक-दूसरे के पूरक
अपनी समृद्ध पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ जब प्रीति विश्वास के साथ विवाह बन्धन से बंधी तो केरल में उन्हें कई मुश्किलों से भी गुजरना पड़ा। वहाँ का खानपान, रहन-सहन,आबोहवा और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश उत्तर भारत से जुदा था । विश्वास के दिल्ली, उदयपुर और अन्य स्थानों पर ट्रान्सफ़र हुए तब भी कई तकलीफ़ें सामने आई,लेकिन प्रीति ने हर परिस्थिति में विश्वास का साथ दिया। यूं कहे प्रीति विश्वास की प्रीत और विश्वास प्रीति का विश्वास हैं तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। दरअसल वे एक दूसरे के पूरक हैं।
सुसंस्कृत गृहणी
प्रीति का अपना अलग व्यक्तित्व है। वह स्वाभिमानी है।साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त एक सुसंस्कृत और विरासत में मिले संस्कारों के कारण बहुत ही व्यवस्थित गृहणी है। उन्होंने कोई व्यवसाय या नौकरी करने के बजाय हमेशा अपने घर को सुव्यवस्थित करने को प्राथमिकता दी। हिंदी, गुजराती, मेवाड़ी और अंग्रेज़ी बोलने के साथ विश्वास की तरह उन्होंने मलयालम भी सीखी है हालाँकि, विश्वास तो केरल के मूल निवासियों से भी बढ़िया मलयालम बोलते हैं। दोनों एक मंच पर गाने की भी रियाज़ करते हैं । उनके दो पुत्र एकलव्य और ध्रुव मेहता क्रमश: यूएसए और दिल्ली में सेटल है।
डूंगरपुर मेडिक़ल कॉलेज खुलवाने में महत्ती भूमिका
डॉ. विश्वास मेहता ने भारत सरकार के स्वास्थ्य मन्त्रालय के संयुक्त सचिव (मेडिकल शिक्षा ) रहते हुए डूंगरपुर जिले को मेडिकल कॉलेज दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। यूपीए सरकार के तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद और तब के सांसद ताराचन्द भगोरा और मेहता के फूफेरे भाई गोपेंद्र नाथ भट्ट के साथ डॉ. विश्वास मेहता की इसमें महती भूमिका रही थी,जिन्होने डूंगरपुर को मेडिकल कोलेज की सौगात दिलवाई ।
वागड महोत्सव
उदयपुर पश्चिम सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक रहते हुए उन्होने डूंगरपुर के स्थापना दिवस पर वागड महोत्सव की शुरुआत करवाई थी ।