रेतीले धोरों में सोना उगलते पॉली हाउस

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कुछ ऐसी ही कहानी राजस्थान के उस भू-भाग की हैं जो सदियों से अकाल व सूखे की मार झेलता आ रहा था। आसमान से अगर आज रेतीले टीलों की धरती को निहारे तो बहुत कुछ बदला-बदला सा नजर आता है। जी हां ! हाईटेक तकनीकी ने न केवल धरती को सरसब्ज बना डाला है, बल्कि किसान को मालामाल कर दिया हैं।

चांद के कान में छेद कर उसमें पहना दो गेहूं की बाली।
सप्तऋषि से कहो कि लेकर खड़़े रहे अक्षत की थाली।।

को लेकर कवि की ये पंक्तियां भले ही कल्पना मात्र हो, लेकिन धरती का सीना चिर देश के किसानों ने जो नवाचार किए है, उसने कवि की कल्पना को भी मानो साकार कर डाला हैं। कुछ ऐसी ही कहानी राजस्थान के उस भू-भाग की हैं जो सदियों से अकाल व सूखे की मार झेलता आ रहा था। आसमान से अगर आज रेतीले टीलों की धरती को निहारे तो बहुत कुछ बदला-बदला सा नजर आता है। जी हां ! हाईटेक तकनीकी ने न केवल धरती को सरसब्ज बना डाला है, बल्कि किसान को मालामाल कर दिया हैं।
हाईटेक तकनीकी से खेती का असर यह है कि कभी नंगे बदन सूखी फटी धरा को बेबसी से निहारने वाले किसान की तकदीर ही बदल गई है।
पॉली हाउस
मरुभूमि में किसानों के लिए पॉली हाउस वरदान सिद्ध हो रहे है। यह किसानों को न्यूनतम लागत पर अधिक लाभ पहुंचाने में सहायक है। यहीं कारण है कि देश के किसान बड़ी मात्रा में इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस पॉलीथीन से बना एक रक्षात्मक छायाप्रद घर होता है जो कांच या पॉलीएथिलीन जैसी पारभासी सामग्री से बना होता है जहाँ पौधों को विकसित किया जाता हैं। इसमें लगे उपकरणों की सहायता से इसके अन्दर ताप, आद्र्रता, प्रकाश आदि को नियन्त्रित किया जाता है। पॉलीहाउस के माध्यम से किसान बिना मौसम की सब्जियां, फूल और फल आदि की अच्छी पैदावार कर सकते हैं।

ऐसे बना बसेड़ी मिनी इजरायल

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जयपुर से 30 किलोमीटर अजमेर रोड पर बैगस के पास बसेड़ी गांव के किसान रामनारायण थाकण को ही लें तो उसने नवाचारों के माध्यम से न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे गांव की काया पलट डाली। बसेड़ी के आसपास के खेतों में डेढ सौ से अधिक सफेद चादर ताने खड़े पॉली हाउस को देख यहां के किसानों की खुशहाली व सम्पन्नता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन पॉलीहाउसों में होने वाली भरपूर कृषि उपज के कारण बसेड़ी का यह इलाका मिनी इजराइल के रूप में पहचाना जाने लगा है।

कैसे बदली तकदीर और तस्वीर
गुल्लाराम थाकण के सुपुत्र रामनारायण परम्परागत खेती करने वाले किसान थे। दिसंबर 2012 में उन्होंने जब सुना कि सरकार बूंद-बूंद सिंचाई से पॉली हाउस में अधिक पैदावार वाली अत्याधुनिक खेती को प्रोत्साहित कर रही है, तो वे भी अपने एक साथी कन्हैयालाल के साथ हार्टिकल्चर विभाग जा पहुंचे और पॉली हाउस स्वीकृत करवा लाए। रामनारायण ने सरकार से स्वीकृति मिलते ही पॉली हाउस बना कृषि कार्य शुरू कर दिया। कुछ कठिनाइयों के बाद जब रामनारायण ने पहली बार में 67 टन खीरे की उपज ली तो किसान की बांछे खिल उठी। खेती में हाथ बंटाने वाले बेटे के उद्यम को देख पिता गुल्लाराम की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं रहा।
उन्होंने अपने भाइयों के परिजनों, रिश्तेदारों व गांव-गुवाड़ से परिचितों को बुलाया और उन्हें भी हाईटेक खेती अपनाने की सलाह दी। देखते ही देखते अकेले बसेड़ी क्षेत्र में 150 से अधिक पॉली हाउस हो गए, जहां टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, तरबूज,खरबूजा सहित कई प्रकार के फलों व सब्जियों की पैदावार ली जा रही है। 22 पॉलीहाउस तो अकेले रामनारायण की फैमेली के ही हैं।

श्रेष्ठ किसानी के लिए पुरस्कृत

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किसान रामनारायण ने नवाचारों को अपनाकर किसान के प्रति लोगों की सोच बदलने का जो उपक्रम किया है, उसकी सरकारी स्तर पर एक नहीं अनेकों बार सराहना हो चुकी है। इसके लिए उन्हें राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका हैं। किसान रामनारायण अब तक नवोन्मेषी कृषक पुरस्कार के राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार के साथ कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर, आईसीएआर-कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान, जोधपुर व विद्या भवन कृषि विज्ञान केंद्र उदयपुर ने नवाचारी कृषक सम्मान प्रदान किया तो इसी तरह आईसीएआर की तरफ से भी इनोवेटिव किसान के रुप में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोतम रुपाला के हाथों भी सम्मानित हो चुके हैं। 2019 में बेस्ट परफोर्मेंस ऑफ फार्मर ऑफ ईयर का राज्य स्तरीय पुरस्कार भी इन्हें मिल चुका है। उनके कृषि क्षेत्र में किए गए नवाचारों से प्रभावित होकर केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, पूर्व मंत्री मुरारी लाल मीणा आदि भी उनके पॉली हाउस का विजिट कर इसकी सराहना कर चुके हैं।

कृषि पर्यटन

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रेगीस्तान की धरती पर मिनी इजराइल बसेड़ी कृषि पर्यटन स्थल बन गया हैं जहां विजिट करने न केवल किसान और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग आ रहे है, बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी रामनारायण से इस हाईटेक खेती के गुर सीखने आ रहे हैं ताकि फील्ड पोस्टिंग के दौरान वे हाईटेक खेती के लिए प्रोत्साहित कर सकें।

कम खर्च में अधिक उत्पादन
किसान रामनारायण ने अपने खेतों में फार्म पौंड बनवाने के साथ ही सोलर प्लांट लगवा रखे है ताकि बिजली-पानी पर आने वाले खर्च में भी बचत हो सके।

खेती से लाखों रुपए सालाना आय
रामनारायण बताते है कि जब से खेती की अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया हैं तब से हमारे परिवार की ना केवल आर्थिक दशा सुधरी है और लाखों रुपये की सालाना आय हो रही है।
परिवार के दो बच्चे डॉक्टर बन गए। खेती से होने वाली सालाना कमाई के कारण ही लग्जरी गाडिय़ां घर पर आ गई। परिवार के एक सदस्य कैलाश चौधरी ने तो पॉली हाउस में काम आने वाले सामानों की फैक्ट्री तक स्थापित कर डाली हैं। बसेड़ी क्षेत्र के अन्य किसानों की भी कुछ ऐसी ही कहानी हैं।

आप भी कमा सकते हैं लाखों रुपए
पॉली हाउस लगाकर आप भी 5 से 20 लाख रुपए सालाना आय कर सकते हैं। एक एकड़ में लगभग 35 लाख रुपए की लागत से बनने वाले एक पॉली हाउस के लिए 70 प्रतिशत तक अनुदान सरकार देती हैं। कुछ राज्यों में तो इससे भी अधिक सब्सिडी भी दी जा रही हैं। फार्म पौंड व सोलर प्लांट पर भी सरकार से अनुदान मिलता हैं।

शिक्षित युवा भी लौट रहे हैं खेती में
कोरोनाकाल के खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ युवाओं का वापस गांवों की तरफ मोह जागा हैं। लॉकडाउन के दौरान फल-फ्रूट, सब्जी, खाद्य पदार्थों के ही अधिक व्यवसाय को देखते हुए भी किसानी के प्रति रुचि बढ़ी हैं।

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