- पर्यावरण से ऐसा नाता जोड़ा की पूरी लाइफ स्टाइल ही बदल गई
- 11 साल से लगे हैं नियमित पेड़ लगाने में, कर चुके 65 हजार पेड़ों का रोपण
- खास बात यह कि एक भी पेड़ मरा नहीं
देशभर में कोरोना का भंयकर संक्रमण काल चल रहा है। कोरोना ने पूरी दुनियां में उथल-पूथल मचा रखी है। भारत में ही ऑक्सीजन की मारामारी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है। आज पृथ्वी दिवस है। ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी को बचाने की आवाज चारों तरफ से उठ रही है। हरे भरे वृक्ष लगाकर ही हम पृथ्वी व पर्यावरण को बचा सकते हैं। चलो देर से ही सही लोगों को फ्री में ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों की अहमियत तो समझ में आ रही है। राजस्थान में तो पेड़ों को बचाने के लिए अमृतादेवी ने बलिदान तक दे दिया था।
पर्यावरण की अनदेखी के बीच आज भी बहुत से पर्यावरणप्रेमी छायादार पेड़ लगाने में मिशन की तरह जुटे हुए है। इनमें एक नाम जयपुर के सुरेन्द्र अवाना का भी है। उन्होंने तो पेड़ लगाने के अभियान के साथ अपनी पूरी लाइफस्टाइल ही बदल डाली। स्कूल संचालक से पेड़ वाले बाबा और देश के नामी प्रगतिशील किसान बन गए। अब तो अवाना का सारा दिन गायों, पेड़ों व अन्य हरियाली के बीच ही गुजरता है।
बिना पानी जमीन को बना डाला हरी-भरी
पेड़ों की बात करें तो सुरेन्द्र अवाना 11 साल से अनवरत पेड़ लगा रहे हैं और अब तक 65 हजार से अधिक पेड़ो का रोपण कर चुके हैं। जयपुर के पेड़ वाले गुरुजी अब पेड़ों और हरियाली वाले बाबा बन चुके हैं। जयपुर से 45 किलोमीटर दूर बीचून के पास भैराणा गांव स्थित् रूद्र शिवम् फार्म हाउस वाली जिस जमीन में पानी नहीं उसको भी हराभरा देने वाले सुरेन्द्र अवाना को राष्ट्रीय स्तर पर ही सम्मानीत भी किया जा चुका हैं। अवाना ने जुलाई 2010 में गजसिंहपुरा अपने विद्यालय परिसर, आसपास की कॉलोनियों व पार्कों से पेड़ लगाने की शुरुआत की थी। आज उन्हें पर्यावरण संरक्षण से इतना लगाव हो गया कि अपने दिन की शुरुआत एक पेड़ लगाकर करते हैं, चाहे ऋतु कैसी भी हो ये नियमित हर मौसम में एक पेड़ अवश्य लगाते हैं।
कोरोनाकाल में भी रूका नहीं पेड़ लगाने का अभियान
कोरोना काल में भी उनका अभियान रूका नहीं। फार्म पर आने वाले अतिथियों से भी पेड़ लगाना नहीं भूलते। दिनभर में 5 से 10 पेड़ लगाने का उनका लक्ष्य रहता है। सबसे खास बात ये है कि केवल फोटो खिंचवाने के लिए पेड़ नहीं लगाते। उनका लगाया एक भी पेड़ व पौधा मरा नहीं। वे छायादार पेड़ ही लगाते हैं, जिसमें नीम, करंज, गुलर, सेजना, शहतूत, बरगद, पीपल आदि पेड़ों को प्राथमिकता देते हैं, हालांकि इस बार कोरोना काल में उन्होंने रोज औषधीय पौधे जैसे गिलोय, हारसिंगार, तुलसी, हल्दी, सहजना, ग्वारपाठा, स्टेविया, मुलेठी, अर्जुन, आंवला, गुडहल, मौलसरी, पत्थरचट्टा, लेमनग्राम, सर्पगंधा पौधे लगाने पर जोर रखा ताकि प्रकृति की दी हुई ये औषद्यियां लोगों के रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के काम आएं। सुरेन्द्र अवाना ने अपने फार्म पर एक नर्सरी की स्थापना की है, जिसमें आमजन नि:शुल्क पौध ले जाते हैं।
पर्यावरण स्लोगन वाले बैग
पर्यावरण संरक्षण के लिए अवाना पहले स्कूली बच्चों और उनके परिजनों को पर्यावरण स्लोगन लिखे कपड़े के बैग भी बड़ी तादाद में वितरित कर चुके हैं। अवाना अपने शैक्षणिक संस्थानों में प्रत्येक बच्चे के जन्म दिवस पर एक पेड़ अवश्य लगाते हैं और बच्चे को गिफ्ट के रूप में पर्यावरण स्लोगन लिख हुआ कपड़े का ड्रॉइंगबॉक्स देते है।