बच्चों को ORS का घोल पिलाकर CMHO डॉ. नवनीत शर्मा ने किया सशक्त गहन दस्त नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारम्भ

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हनुमानगढ़। आने वाली पीढ़ी बचपन से ही स्वस्थ होंगी, तो हमारे देश का भविष्य भी सुनहरा होगा। हैल्दी इंडिया की संकल्पना तभी साकार हो सकती है, जब हमारे नन्हें-मुन्ने बिल्कुल चुस्त-दुरूस्त रहें। इसके लिए उन्हें डायरिया से मुक्त रखना भी बहुत जरूरी है। यह बात ‘सशक्त दस्त नियंत्रण पखवाड़ा’ के जिला स्तरीय शुभांरभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने कही। उन्होंने बच्चों को ओआरएस का घोल पिलाकर सशक्त दस्त नियंत्रण पखवाड़े की शुरूआत की।

जिला मुख्यालय के टाउन स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आयोजित शुभारंभ कार्यक्रम में बोलते हुए सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने कहा कि दस्त एक गंभीर रोग है और भारतवर्ष में हर साल एक लाख बच्चों की मौत दस्त की वजह से हो जाती है। पांच साल की उम्र तक के बच्चों को डायरिया के दौरान पानी की कमी को दूर करने के लिए ओआरएस का घोल पिलाया जाना बहुत जरूरी है। नौनिहालों को ओआरएस का घोल समय-समय पर पिलाने से उनके शरीर में पानी कमी को दूर किया जा सकता है। वहीं बच्चों को जिंक टेबलेट दिया जाना भी जरूरी है, ताकि उन्हें आगे डायरिया से बचाया जा सके। इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनी का योगदान भी जरूरी है, तभी दस्त नियंत्रण अभियान को सफल बना सकेंगे।

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CMHO डॉ. पवन कुमार ने कहा कि बच्चों को तंदुरूस्त रखने के उपायों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि खाने और शौच से पूर्व ठीक प्रकार से हाथ धोने से बीमारियां पास नहीं फटकती। उन्होंने कहा कि दस्त के दौरान कभी भी बच्चों के खाने को बंद नहीं करना चाहिए। खाना बंद करने से बच्चे की सेहत को अधिक नुकसान पहुंचता है। उन्होंने प्रत्येक दस्त के बाद बच्चों को ओआरएस का घोल पिलाए जाने और नियमित रूप से 14 दिनों तक जिंक की गोलियां खिलाये जाने की बात कही।

डिप्टी CMHO डॉ. मुकेश कुमार डिग्रवाल ने बताया कि आईडीसीएफ पखवाड़ा 7 जुलाई से 6 अगस्त तक चलेगा। इस पखवाड़े के दौरान जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र तक ओरआरएस कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे, जहां पर बच्चों को जिंक टेबलेट व ओआरएस के पैकेट्स वितरित किए जाएंगे। कार्यक्रम में मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों को बच्चों को ओआरएस का घोल कैसे दिया जाना है, इसके बारे में पूरी जानकारी दी। अभियान में दस्त एवं कुपोषण से होने वाली बीमारियों के प्रति आमजन में जनजाग्रति लाने के लिए व्यापक जागरूकता गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी।

आशा देंगी घर घर जानकारी और ORS पैकेट

बीसीएमओ (BCMO) डॉ. ज्योति धींगड़ा ने बताया कि पखवाड़े के दौरान पांच वर्ष तक के बच्चों वाले सभी घरों में आशा सहयोगिनियों के जरिए ओआरएस पैकेट, जिंक टैबलेट व सूचनाप्रद सामग्री पहुंचाई जाएगी तथा ओआरएस के उपयोग, साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में जागरूक किया जाएगा। दस्त व निर्जलीकरण से होने वाली मृत्यु को ओआरएस व जिंक की गोली देकर और पर्याप्त पोषण के जरिए रोका जा सकता है। साथ ही दस्त की रोकथाम के लिए साफ पानी, समय-समय पर हाथों को सफाई, स्वच्छता, टीकाकरण, स्तनपान व पोषण का अहम योगदान होता है।

खण्ड स्तर पर बच्चों को दिए गए ORS के पैकेट व जिंक टैबलेट

सीओ-आईईसी मनीष शर्मा ने बताया कि खण्ड स्तर पर भी समस्त चिकित्सा संस्थानों पर बच्चों को ओआरएस के पैकेट व जिंक टेबलेट दी गई। चिकित्सा संस्थानों पर उपस्थित नागरिकों को ओआरएस के पैकेट बनाने की विधि के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि कुछ भी खाने से पहले हमें बच्चों के हाथ अवश्य धुलवाने चाहिए। समस्त बीसीएमओ ने अपने-अपने क्षेत्रों में चिकित्सा संस्थानों में गहन दस्त नियंत्रण कार्यक्रम का निरीक्षण किया।

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