चाकसू : जिन उम्मीदों व सपनों के साथ 20 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती पर डा. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण व महादलित सभा का आयोजन किया गया था, वे सब उम्मीदें व सपने तब टूटते नजर आए जब कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अचानक कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की सूचना आयोजकों को दी।
गौरतलब हैं कि कार्यक्रम की सारी तैयारी पूरी होने के बाद जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री गोविंदसिंह डोटासरा के नहीं आने की सूचना मिली तो शिलालेख को लेकर संकट खड़ा हो गया। प्रतिमा अनावरण के शिलालेख पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अध्यक्षता पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, विशिष्ट अतिथि के रूप में डोटासरा का नाम जा रहा था।
कार्यक्रम के आयोजकों ने जानकारी दी कि गहलोत व डोटासरा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की सूचना मिलने के बाद नया शिलालेख आनन-फानन मे बनाया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सचिन पायलट, अध्यक्षता में विधायक वेदप्रकाश सोलंकी, विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री मुरारीलाल मीणा, रमेश मीना व एआईसीसी सचिव तरुण कुमार का नाम डाला गया। इसके चलते आयोजन समिति को इस शिलालेख को औपचारिक रूप से ही लगाना पड़ा।
बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा के अनावरण समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मंच सांझा करने का सपना तो हालांकि आयोजकों व चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी का साकार नहीं हो सका, लेकिन पायलट ने मुखर होकर कार्यक्रम का मोर्चा संभाल लिया।
इस आयोजन की चर्चा करते हुए पायलट ने कहा कि समिति के सदस्य उनके घर आए थे तो मैंने ही कहा था कि सीएम, डोटासराजी, माकन साहब, तरूण कुमार जी आदि सबको आमंत्रित किया जाए। सोलंकी मेरे आग्रह पर सबको आमंत्रित करके भी आए थे, लेकिन किसी कारणवश सीएम आदि नहीं आ सके, लेकिन मैं जानता हूं कि पार्टी और सरकार दलितों के विकास और भलाई के लिए पूरी मेहनत से लगी हुई हैं। राहुल गांधी व प्रियंका गांधी दलित की आवाज उठाने के लिए प्रशंसा करते हुए कहा कि वे 24 घंटे दलित हित के लिए काम करते हैं।
आयोजकों ने जानकारी देते हुए बताया कि वाल्मीकि जयंती पर बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा के अनावरण, महादलित सम्मेलन एवं मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर संपूर्ण तैयारियां मुस्तैद थी, लेकिन मुख्यमंत्री सहित शिक्षामंत्री व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के किसी कारणवश कार्यक्रम में शामिल नहीं होने से न केवल आयोजन समिति, बल्कि कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों को मायूस होना पडा। यहां तक की आनन-फानन मे शिलालेख की पट्टिका में भी बदलाव करना पडा।
इस कार्यक्रम के मौके पर विधायक सोलंकी ने कहा कि वैसे तो चाकसू निरंतर विकास की ओर अग्रसर हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यक्रम में शामिल होते तो विकास को ऊंची उडान मिलती व विकास के पंख लग जाते।
कार्यक्रम में हजारों की तादाद में महिलाएं भी शामिल हुई थी, लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम मे शामिल नहीं होने से महिलाओं को मायूस होना पडा। महिलाओं को उम्मीद थी कि सुबे के मुख्यमंत्री उनके कल्याण के लिए किसी बडी योजना की सौगात देंगे।