एसटी के लिए आरक्षित 12 फीसदी में से 6.6 प्रतिशत आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग

एसटी के लिए आरक्षित 12फीसदी में से 6.6 प्रतिशत आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग

उदयपुर। अनुसूचित क्षेत्र आदिवासी आरक्षण संघर्ष समिति, उदयपुर के बेनर तले आज “ट्राईबल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, उदयपुर” के सभागार में अनुसूचित क्षेत्र में आरक्षण विसंगतियों को लेकर पूर्व सांसद, कांग्रेस स्टीयरिंग समिति के सदस्य एवं केन्द्रीय संयोजक, अनुसूचित क्षेत्र आदिवासी आरक्षण संघर्ष समिति, रघुवीर सिंह मीणा के मुख्य आतिथ्य में सभा हुई, जिसमें राज्य में अनुसूचित जन जाति वर्ग के लिए देय 12% आरक्षण में से 6.6% अर्थात् 12% का 55% आरक्षण अनुसूचित क्षेत्र में निवासरत जनजातियों के लिए प्रावधान करने की पुरजोर मांग की गई ।

सभा में उपस्थित सभी लोगो ने आरक्षण विसंगति को दूर करने के संदर्भ में अपने-अपने विचार रखें एवं अनुसूचित क्षेत्र में संविधान के अनुच्छेद 244(1) के अधीन पांचवी अनुसूची के तहत दिये गये आरक्षण में कई विसंगतियों पर ध्यान आकर्षित किया तथा इस क्षेत्र के नव युवकों के साथ राजकीय भर्तियों में हो रहे घोर अन्याय पर प्रकाश डाला। लगभग 25 वक्ताओं ने अपने-अपने संबोधन में कई विचार रखे तथा मांग की गई कि भर्तियों में हो रही अनियमिततओं को समाप्त कर हमारे हक एवं संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित करें।

सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश में अनुसूचित जन जाति को देय 12% आरक्षण में से 6.6% कोटा अनुसूचित क्षेत्र में निवासरत जनजातियों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जावें स्मरण रहे कि राज्य में जनजातियों की कुल जनसंख्या 82 लाख 25 हजार हैं जो कि लगभग 12% हैं उसी के अनुपात में आरक्षण देय है उक्त 12% जनसंख्या का आधी से अधिक अर्थात 6.6% जनजातियों के जनसंख्या अनुसूचित क्षेत्र में निवासरत हैं।

एसटी के लिए आरक्षित 12फीसदी में से 6.6 प्रतिशत आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग

अधिसूचना दिनांक 04.07.2016 के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के लिए अधीनस्थ सेवाओं की भर्ती में विशेष आरक्षण व्यवस्था लागू की गयी है राज्य सेवाओं की भर्ती को छोड़कर समस्त अधीनस्थ सेवाओं में सीधी भर्ती द्वारा 45% अनुसूचित जनजातियों व 5% अनुसूचित जाति तथा शेष 50% अनारक्षित पदों पर इस क्षेत्र के सभी वर्गों के लिए योग्यता के आधर पर चयन का प्रावधान है। राज्य प्रशासनिक सेवाओं पर नजर डालें तो राज्य प्रशासनिक सेवा में अनुसूचित जन जाति के लिए कुल 72 पद हैं। इसमें अनुसूचित क्षेत्र के मात्र 4 अधिकारी चयनित हुये हैं, इसमें भी सीधी भर्ती से चयनित मात्र 2 एवं 2 प्रमोशन से हैं।

राज्य पुलिस सेवा में कुल 85 अधिकरी अ.ज.जा के हैं, इसमें अनुसूचित क्षेत्र के मात्र एक अधिकारी है वह भी पदोन्नती से गये हैं। ऐसी स्थिति में हम देखें तो आधी अनुसूचित क्षेत्र की आधि से अधिक जनसंख्या सामाजिक आर्थिक दृष्टि से पिछड़ी हुई है। हमारे अनुसूचित क्षेत्र में किये गये प्रावधानों में कई विसंगतियों है, इन विसंगतियों को सुधारना आवश्यक है अनुसूचित क्षेत्र में जनजातियों की कुल जनसंख्या 45 लाख 52 हजार है, जो कि इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 64 लाख 64 हजार की 70.42% है, जबकि इस वर्ग के लिए मात्र 45% आरक्षण दिया जा रहा है, जिससे आदिवासी प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं में भारी आकोश एवं रोष व्याप्त है।

जिससे सामाजिक सौहार्द बिगडने का अन्देशा हमेशा बना रहता है। इस विसंगति को दूर करने के लिए अनुसूचित क्षेत्र में देय शतप्रतिशत आरक्षण में से 70.42% आरक्षण जनजातियों को दिया जावे, क्योंकि माननीय उच्चतम न्यायालय के 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिये जाने का आदेश स्वतः निष्प्रभावी है, क्योंकि राज्य में इस समय 64 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जा रहा है जो इस प्रकार ओबीसी 21 प्रतिशत, एससी 16 प्रतिशत एसटी 12 प्रतिशत एमबीसी 5 प्रतिशत एवं ईडब्ल्यूएस 10 प्रतिशत।

अतः सभी ने एक स्वर में इस बात पर जोर दिया कि सरकार हमारी आरक्षण विसंगति मसले को दूर करने की सुने तथा हमारे साथ युक्ति संगत संवाद कर समस्यों का समाधन करें। वर्तमान में दिये गये अधीनस्थ सेवाओं के आरक्षण में विसंगतियों को दूर करें तथा राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में अन० जन जाति के लिए देय 12% आरक्षण में से 6.6% यानी 55% आरक्षण पृथक करने का संवैधानिक प्रावधान करें, जिस तरह ओबीसी में से एमबीसी का जनसंख्या के अनुपात में पृथक आरक्षण की गई है इस बैठक में आरक्षण विसंगतियों को दूर करने के लिए तद्नुसार गतिविधियों आगे बढाने हेतु सर्व सहमति से सदन में निर्णय लिया गया।

बैठक में डूंगरपुर जिले के समन्वयक पूर्व सांसद ताराचन्द भगोरा, बाँसवाडा जिले के समन्वयक पूर्व संसदीय सचिव नानालाल निनामा, उदयपुर जिले के समन्वयक पूर्व मंत्री मांगी लाल गरासिया, पूर्व विधायक सुरेन्द्र बामनिया, पूर्व विधायक पूँजी लाल परमार, पूर्व विधायक लाल शंकर घाटिया, पूर्व विधायक एवं प्रधान बसन्ती देवी मीणा, प्रधान गंगाराम मीणा, प्रधान अर्जुन लाल निनामा, पूर्व प्रधान देवी लाल निनामा सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक एवं पूर्व कुलपति थावर चन्द डामोर, प्रधान धूली राम मीणा, प्रधान सवाराम गमेती, उप प्रधान लाल सिंह मीणा, जिला परिषद सदस्य गौतम राणा आदिवासी महासभा अध्यक्ष सोमेश्वर मीणा, जनजाति विकास संस्थान के महा सचिव डॉ. शंकर बामनिया, नगरपालिका चैयरमेन के.बी. मीना, चम्पा लाल परमार, डॉ मानसिंह निनामा, नर्सिंग एसोसिएशन अध्यक्ष प्रवीण चरपोटा, आदिवासी डॉक्टर एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार डॉ. दिनेश खराडी, कोषाध्यक्ष निरंजन दरंगा, डॉ. केशरीमल निनामा युवा छात्र नेता प्रकाश वरण्डा, प्रिन्सीपल देवी लाल मीण एवं भीमराज मीणा के साथ कई संगठनों के 125 से ज्यादा पदाधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया।

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