भरतपुर: भगवान कृष्ण की लीला स्थली ब्रज भूमि के परम पवित्र पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कराने के लिए विगत 545 दिनों से साधु-संतों व ग्राम वासियों का धरना प्रदर्शन भरतपुर के डीग तहसील में जारी है । उल्लेखनीय है कि विगत 1 अक्टूबर 2021 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्च स्तरीय बैठक करके उपरोक्त दोनों पर्वतों को अविलंब खनन मुक्त करने का निर्णय लिया था जिसके उपरांत जिला प्रशासन द्वारा सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है लेकिन आज लगभग 9 माह बीतने के बाद भी दोनों पर्वतों पर भीषण खनन चार गुना गति से जारी है ।
वही इन पर्वतों पर स्टोन क्रेशरओं की संख्या 2-3 से बढ़कर अब लगभग 16 के करीब हो गई है जिससे अब स्पष्ट दिख रहा है कि राजस्थान सरकार मुख्यमंत्री के निर्णय की अनदेखी कर भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म एवं हिंदुत्व के महत्वपूर्ण प्रतीकों को नष्ट करने में लगी हुई है। सैकड़ों बार संबंधित मंत्रियों, उच्चाधिकारियों यहां तक कि मुख्यमंत्री से भी बैठक के बाद दोनों पर्वतों का खनन कार्य बजाए रुकने के कई गुना गति से बढ़ गया है जिसको लेकर संत समाज में अब काफी रोष व्याप्त हो रहा है।
राजस्थान के प्रमुख संत गौसेवी दत्त शरणानंद जी महाराज, मलूक पीठ के पीठाधीश्वर राजेंद्र दास जी महाराज, जोधपुर रामद्वारा के महंत राम प्रसाद जी महाराज आदि व वृंदावन के सभी बड़ों संतो की मुख्यमंत्री से अपील के बाद भी राजस्थान सरकार ब्रजभूमि के इन पर्वतों को नष्ट करने में लगी हुई है । ब्रज के इन पर्वतों पर हो रहे भीषण खनन को रोकने में नाकाम राजस्थान सरकार के विरुद्ध में साधु-संतों की नाराजगी अब कई गुना बढ़ गई है यहां तक कि कई संतों ने आत्मदाह की भी चेतावनी दे दी है।
गौरतलब है कि ब्रज के संत हरिबोल बाबा ने आगामी दिनांक 19 जुलाई को आत्मदाह की चेतावनी पूर्व में ही मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन को दे रखी है। इसी क्रम में आज हरि बोल बाबा ने कामां में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गया कुंड पहुंच कर सैकड़ों साधुओं के बीच स्वयं का इंतजाम क्रिया संपन्न करी उन्होंने कहा कि सन्यासी को मरने से पूर्व अपना स्वयं का पिंड दान करना होता है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रजभूमि के लिए आत्मदाह करना मेरे जीवन के सबसे सौभाग्य की बात है उन्होंने कहा कि जिन राधा कृष्ण की लीला स्थली को देखने के लिए विश्व भर से लोग आते हैं उसको बचाने में अगर मेरी मृत्यु हो रही है।
हर सनातन धर्मी के लिए संदेश है कि अभी भी समय है जाग जाएं अन्यथा यह दुष्ट राजनीतिक लोग कुछ लोगों के प्रभाव में आकर हमारे धर्म को हिंदुत्व को संपूर्ण रूप से नष्ट कर देंगे अगर हम ही इनको नहीं बचाएंगे तो फिर कौन बचाएगा उन्होंने कहा कि जीवन भर ना तो सब भगवान के हाथ में है लेकिन अगर मेरी मौत का कोई जिम्मेदार होगा तो वह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार होगी।
वहीं स्थिति की गंभीरता को लेकर साधु संत समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक भरतपुर जिले के डीग तहसील के प्रख्यात आदिबद्री धाम में संपन्न हुई जिसमें आगे की रणनीति को लेकर विस्तृत चर्चा की गई साथ ही हरि बोल बाबा व अन्य संतो को आत्मदाह के निर्णय को त्यागने के लिए भी प्रयास किया गया। लेकिन सभी संत ब्रज के पर्वतों की रक्षा के लिए व सरकार के विरुद्ध आत्मदाह करने के निर्णय पर अडिग रहे।
उन्होंने सीधा आरोप राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लगाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने हिंदुत्व व सनातन धर्म के खिलाफ साजिश रच कर बड़ी वादाखिलाफी करी है। अगर एक भी साधु संत इस आत्मदाह के प्रयास में मरता है तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की होगी । बैठक में उपस्थित सभी संतो ने प्रमुख रूप से आदिबद्री धाम के महंत शिवराम दास व मानमंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री एवं मलूक पीठ के व्यवस्थापक गोपेश बाबा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस अत्यंत गंभीर विषय में तुरंत हस्तक्षेप कर साधु-संतों को आत्मदाह करने के प्रयास से रोकने का आग्रह किया है वह साथ ही करोड़ों भारतीयों व हिंदुओं की आस्था का केंद्र इन ब्रज के पर्वतों को अविलंब खनन मुक्त कर विगत 1 अक्टूबर को अपने किए हुए वादे को पूरा करने की भी अपील की है।
साथ ही संत समाज ने यह भी कहा है कि अगर कोई भी साधु सरकार की नाकामी के कारण हताहत होता है तो प्रदेश ही नहीं पूरे देश भर में विस्फोटक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं उनकी सरकार की होगी। संत समाज ने यह भी निर्णय लिया है कि भरतपुर जयपुर एवं दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के सामने भी संत समाज द्वारा विरोध प्रदर्शन एवं हिंदुत्व की रक्षा के लिए विशाल जनसभा आयोजित की जाएगी। बैठक में प्रमुख रूप से जोधपुर के पथमेड़ा गौशाला के व्यवस्थापक विट्ठल दास महाराज, मान मंदिर के ब्रज दास, गोपेश बाबा, प्रिया दास, कृपालु दास, कीर्तन दास, भूरा बाबा, गोपेश बाबा, गोलोक दास, मुकेश शर्मा आदि उपस्थित रहे।