परतापुर। परतापुर में 16 अक्टूबर को हुए साम्प्रदायिक दंगे में चाकूबाजी से घायल युवक की मौत हो जाने के कारण आज परतापुर क्षेत्र के हालात बिगड़ गए। हजारों स्त्री और पुरुष सडक़ों पर उतर आए और हाईवे को जाम कर दिया। लोगों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासन को उनकी सारी मांगे लिखित में माननी पड़ी तब शाम को जाकर शांति हो पाई। भट्ट की तरफ से मौजूद परिजनों व अन्य की मौजूदगी में जिला प्रशासन से हुए समझौते के अनुसार 5 लाख राज्य सरकार की ओर से, 2 लाख रुपए किसी अन्य मद से तथा 10 लाख रुपए विधायक अपने विधायक कोटे से देगा। मृतक की विधवा को गर पालिका परतापुर में नौकरी, मामले में 2 माह में चालान पेश करने तथा अन्य मांगों को लेकर समय-समय पर जिला प्रशासन व ग्रामीणों की कमेटी के बीच बैठके होने का निर्णय हुआ। इस बातचीत के बाद ही शव को अंतिम संस्कार के लिए मृतक के घर लाया गया।
खाली करवाने पड़े आवास
आपको बता दे कि बांसवाड़ा जिले में चाकूबाजी में घायल गौरव भट्ट की उदयपुर के अस्पताल में कल रात मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम के बाद शव को लेकर जैसे ही लोग परतापुर पहुंचे तो कस्बे के बाहर हाईवे पर ही बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए और शव को रखकर जाम लगा दिया। दोपहर करीब 1 बजे महिलाएं चाकू से वार करने वाले आरोपी फैजान के घर जाने की जिद पर अड़ गईं। डीएसपी गजेंद्र सिंह राव और क्यूआरटी बल ने महिलाओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे जिद पर अड़ी रहीं। जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह, एसपी राजेश कुमार मीणा, एएसपी कैलाश सांदू, डीएसपी रूप सिंह, थाना प्रभारी मनीष चारण सहित बड़ी संख्या में पुलिस और प्रशासनिक अमले ने मौके पर डेरा डाले रखा। वहीं पहले से क्षेत्र में हालात बिगडऩे की आशंका पर पुलिस ने डूंगरी स्थित मुस्लिम बस्ती के करीब 35 मकान खाली करवा दिए। पूरे जिले में रात 9 बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं।
सडक़ के दोनों ओर जाम
सुबह करीब 8 बजे से हाईवे पर गणेश मंदिर के पास घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जुटने लगी। 12 बजे तक यहां हिन्दू संगठनों के लोग भी पहुंचे। वारदात से आक्रोशित परतापुर कस्बे के लोग भी मौके पर डटे रहे। सडक़ पर हजारों लोगों की उपस्थिति से हाईवे पर आवागमन बाधित रहा। जानकार लोग दूसरे रास्तों से जाते दिखे।
प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी
वहीं दोपहर 12.55 भीड़ ने रोडवेज बस को घेर लिया। इसके बाद रूक्चष्ट (मेवाड़ भील कोर) ने बस को जाम से निकलवाने की कोशिश की गई, लेकिन भीड़ नहीं मानी। हिन्दू संगठनों की ओर से विधायक कैलाश मीणा, करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष भंवर सिंह सलाडिय़ा और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने लोगों के बीच समझाइश के प्रयास किए, लेकिन उग्र भीड़ ने किसी की नहीं सुनी। बाद में मृतक की पत्नी और मां यहां बीच सडक़ पर धरने पर बैठ गईं। मौके पर बड़ी संख्या में महिलाओं के एकत्र होने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने महिला कांस्टेबल जैसी व्यवस्थाएं नहीं की। इस कारण महिलाओं को रोकना पुलिस के लिए मुसीबत बना रही। कुछ देर बाद महिला जाब्ता मौके पर भी पहुंचा।
पत्रकारों को भी फोटों नहीं खींचने दिए
सुबह हिन्दू संगठनों की ओर से यहां नगर पालिका के पास मंदिर परिसर में एक बैठक हुई। इसमें प्रतिनिधियों ने कुछ आवश्यक निर्देश दिए। इसके बाद सभी हिन्दू संगठन हाथ में केसरिया ध्वज लेकर आगे बढ़े। तभी मकान की ऊंचाई से पत्रकारों ने नजारे को कैमरे में कैद करने की कोशिश की। यह देख भीड़ ने सभी कैमरे और मोबाइल बंद करा दिए। पुलिस को भी मौके की वीडियोग्राफी करने का मौका नहीं मिला।
जेल में है मुख्य आरोपी
पुलिस के अनुसार वारदात में दौरान चाकूबाजी में लिप्त फैजान फिलहाल जेल में बंद है। वारदात के बाद ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद अदालत ने जेल भेज दिया था। पुलिस ने बताया कि फैजान के परिवार में कोई नहीं है। वह बदमाश प्रवृत्ति का है, जिसके खिलाफ पहले से गढ़ी थाने में कई मामले दर्ज हैं।
रास्तें में भी जगह-जगह अर्पित किए श्रद्धासुमन
मृतक का पार्थिव शरीर कड़े जाब्ते के बीच उदयपुर से रवाना किया गया था लेकिन उसके बावजूद रास्ते में पडऩे वाले गांवो और कस्बों में बड़ी संख्या में लोग सडक़ के दोनों तरफ खड़े गौरव भट्ट जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे और साथ ही श्रद्धासुमन भी अर्पित किए। पुलिस को बड़ी मशक्कत के बीच इन क्षेत्रों से वाहनों को निकालना पड़ा। अंत्येष्टि के बाद भी तनावपूर्ण हालातों को देखते हुए प्रशासन ने परतापुर में जाब्ता तैनात कर रखा है। ताकि कोई हनहोनी घटना घटित ना हो।
विप्र फाउंडेशन ने भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
मृतक गौरव के शव को जब उदयपुर से रवाना किया गया तो विप्र फाउंडेशन जोन-1 ए के प्रदेशाध्यक्ष के.के.शर्मा, युवा प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र पालीवाल, सोशल मीडिया सेल से मोहित सनाढ्य आदि बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर शव को परतापुर के लिए विदा किया। विफा ने प्रशासन से समाज के निर्दोष युवा के मारे जाने को दुखद बताते हुए 50 लाख मुआवजा, मृतक की पत्नी को नौकरी, बच्चो की मुफ्त शिक्षा की मांग प्रशासन के समक्ष उठाई थी। बांसवाड़ा जिला विप्र फाउंडेशन की कर से दीपक जोशी व अन्य प्रशासन से हुए समझौते के समय भी मौजूद थे।