आदिवासी अंचल मेंं सेवा का एक अनूठा, अनुपम व अकल्पनीय भाव

एक परिवार की तरह अपनों की चिंता रखकर कोई समाज के लिए रात-दिन कार्य करें और हर काज को अंजाम तक ले जाने को ही अपना धर्म समझे ऐसे व्यक्ति बिरले ही होते हैं। इस तरह के व्यक्तित्व के रूप में बांसवाड़ा विप्र फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष योगेश जोशी को देखा जा सकता हैं। उनकी टीम भी कुछ कम नहींं जोशी की डायरी में ऐसा खाना ही नहीं की कोई काम नहीं हो सके। अपने सीमित संंसाधनों और एक मजबूत टीम के दमखम पर जो भी मिशन सौंपों वो उसे हर हाल में पूरा कर डालते हैं। उनकी हरदम सोच यही रहती है कि समाज के लिए क्या अच्छा किया जा सकता है।

समाज के साथ सर्वहारा समाज के लिए भी सेवा भाव

चूंकि एक ब्राह्मण संगठन है तो स्वभाविक है कि विप्रों के उत्थान की बात सोचे। उन्नत समाज, समर्थ राष्ट्र के ध्येय वाक्य वाले एक वैश्विक संगठन विप्र फाउंडेशन की टीम ने कुछ काज ऐसे भी किए है जो सर्वसमाज को सम्बल प्रदान करने वाले हैं। रक्तदान तो सबके काम आता ही है उसमें तो मजहब भी नहीं देखा जा सकता। अभी कोरोनाकाल में चल रही अस्पताल में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों के लिए टिफिन व्यवस्था भी सर्वहारा वर्ग के लिए हैं।

सेवा ही एकमात्र ध्येय

कोई ये सोचे कि जोशी भविष्य में राजनीतिक क्षेत्र में आने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं तो वह भी सही नहीं, क्योंकि राजनीतिक क्षेत्र से तो वे समाज सेवा में आए हैं। दूसरा सम्पूर्ण आदिवासी आरक्षित बांसवाड़ा जिले में बांसवाड़ा नगर परिषद को छोड़ बाकी सरपंच, प्रधान, जिला प्रमुख, विधायक एवं सांसद सामान्य वर्ग का व्यक्ति कभी बन ही नहीं सकता। इसके अलावा संगठन के अन्य कर्णधार भी ऐसे ही हैं जो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज सेवा में जुटे हुए हैं।

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रीट की नि:शुल्क कोचिंग

कोरोनाकाल से जुड़े इन डेढ़ सालों को ही ले तो बांसवाड़ा की विप्र फांउडेशन टीम ने अपने मुखिया योगेश जोशी के नेतृत्व में जितनी गतिविधियां समाज सेवा के क्षेत्र में की है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। रीट परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर का नि:शुल्क संचालन करना और उसमें पांच सौ से अधिक समाज के बच्चे-बच्चियां क्लास अटैंड करने नियमित पहुंचे। सुदूर बांसवाड़ा जैसे क्षेत्र में इतने बच्चों के अच्छे से बैठने की व्यवस्था करना ही कठिन होता है। नि:शुल्क कोचिंग में प्रशिक्षित शिक्षकों की सेवाएं प्रदान करना और भी दूरूह कार्य हैं पर ये सब समाज भावना से स्वत: स्र्फूत हो गया। किसी ने स्थान उपलब्ध करवाया तो किसी ने कुर्सी आदि के लिए योगदान दिया तो पढ़ाने वाले शिक्षकों ने भी अपना बहुमूल्य समय बिना किसी धन लालसा के दिया। ऐसे समाज समर्पित शिक्षकों के सम्मन में विप्र फाउंडेशन ने भी कोई कमी नहीं रखी।

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रक्तदान

कोरोना से जैसे विकट काल में रक्तदान शिविरों का आयोजन करना तथा इसके अलावा भी जरूरत पर ब्लड डोनेट करना ये सब प्रेरणादायी कार्य बिना टीम भावना के हो ही नहीं सकता। इसीलिए योगेश जोशी इसीलिए सामाजिक सरोकारों के प्रत्येक कार्य का श्रेय अपनी टीम को देना नहीं भूलते।

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प्रतिभाओं का सम्मान

दसवीं, बारहवीं अथवा अन्य प्रतियोगी परीक्षा या भर्ती में चयन होने पर समाज के बालक-बालिकाओं के सम्मान समारोह में जुटने वाले कुनबे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दलगत राजनीति भी सामाजिक सरोकारों में कहीं आड़े नहीं आती। समाज के प्रबुद्धजनों की उपस्थिति से देखा जा सकता है कि विशुद्ध समाजसेवा भाव का संकल्प हो तो ऐसां। कोरोना वॉरियर्स के रूप में डॉक्टर्स डे पर चिकित्साकर्मियों के सम्मान का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया ताकि कोरोनाकाल में इनके सराहनीय योगदान को भी समाज याद रख सके। युवाओं को रोजगार की दृष्टि से कॅरियर कॉउंसलिंग जूम मीटिंगों का भी आयोजन समय-समय पर किया गया ताकि इन सद्प्रयासों का लाभ समाज को मिल सके। संस्कार शिविरों के आयोजन में भी आदिवासी अंचल के बच्चों ने रुचि से कोरोनाकाल में जो कुछ सीखा है वह अविस्मरणीय है। विद्वान बच्चोंं की एक पूरी टोली शास्त्रार्थ के लिए तैयार हैं।

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आर्थिक संबल

कोरोना के प्रथम दौर की ही बात करें तो 325 परिवारों को बिना प्रचारित किए सहायता राशि पहुंचाई गई। समर्थ लोगों को जिम्मा दे दिया गया कि आप अमुख परिवार के खाते अथवा नकद आर्थिक सहायता पहुंचाएंगे। ये काम टीम भावना से ऐसे हुआ कि पता ही नहीं चला। कोरोना की दूसरी लहर को ही ले तो टिफिन व्यवस्था का तो 45 दिनों से अधिक दिनों से सफल संचालन किया ही जा रहा है। इसी के निमित जो सहयोग राशि समाजजनों से प्राप्त हुई उसमें से ही अधिक्य राशि को जरूरतमंदों को देने के लिए ऐसे 20 परिवारों की खोज की गई जो सबसे ज्यादा जरूरतमंद हो। उन्हें एक सादे समारोह में 11-11 हजार रुपए आर्थिक सहयोग के रूप में प्रदान किए गए।

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इसके अलावा भी ना जाने मदद के कितने उदाहरण है। घटना का पता चलते ही ग्रुप में मैसेज डाला और मदद का अनुरोध करते ही स्वत: स्फूर्त संबंधित के खाते में योगदान पहुंच गया। मुम्बई, अहमदाबाद, सूरत, चेन्नई हो या अन्य कोई शहर और गांव जहां समाज के व्यक्ति के संकट की सूचना मिली योगेश जोशी और उनकी टीम ने सहयोग व सहायता पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

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एक रिकॉर्ड जो बांसवाड़ा के नाम

विप्र फाउंडेशन बांसवाड़ा के जिलाध्यक्ष योगेश जोशी जो भी कार्यक्रम करते हैं, उसके लिए वे उस कार्य को विकेन्द्रीकरण करते हुए एक टीम को दायित्व सौंप देते हैं और वह टीम पूरी तन्मयता से उस कार्य को अंजाम तक पहुंचा ही देती हैं। विप्र फाउंडेशन की ओर से भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव से आद्य शंकराचार्य की जयंती तक चार दिन आरोग्य सिद्धि अनुष्ठान का निश्चय कर एक करोड़ महामारी नाशक मंत्रों का जाप व एक लाख थाली प्रसाद स्वरूप भोजन का राशन कोरोनाकाल में जरूरतमंदों को देने का निश्चय किया था उसका प्रथम निमंत्रण मां त्रिपुरा सुन्दरी के चरणों में समर्पित कर इस अनूठे संकल्प का आगाज किया गया था।

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इस अनुष्ठान में बांसवाड़ा का सर्वाधिक योगदान रहा। इस आदिवासी अंचल के सुदूर गांवों में बैठे ब्राह्मण बटुकों ने अनुष्ठान में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस अनुष्ठान में देश-विदेश से लोग मंत्रोच्चार में जुटे थे। बांसवाड़ा के बड़े योगदान के कारण ही ढाई करोड़ से अधिक मंत्रोच्चार का रिकॉर्ड दर्ज किया गया।

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वृक्षारोपण

कोरोना के दूसरे दौर ने प्राणवायु की महत्ती आवश्यकता का भी हमें अहसास करवा दिया, लेकिन बांसवाड़ा की टीम तो उसके पहले से ही सघन वृक्षारोपण के अभियान में जुटी हुई हैं। इस बार भी कम से कम 51 गांवों में वृक्षारोपण का संकल्प विप्र फाउंडेशन की टीम ने कर रखा है और ये अभियान 5 जून से शुरू भी हो चुका हैं।

एक जिले में 72 शाखाएं

सामाजिक संगठनों का वैसे सीमित दायरा माना जाता है,लेकिन बांसवाड़ा की विप्र फाउंडेशन की 72 शाखाएं वर्तमान में कार्यरत है। यह भी अपने आपमें अनूठा रिकॉर्ड संभवत: बांसवाड़ा के नाम ही हैं। योगेश जोशी और उनकी टीम का तो लक्ष्य अकेले बांसवाड़ा जिले में दो सौ गांवों तक विप्र फाउंडेशन की टीम खड़ी करने का है। विप्र फाउंडेशन की महिला व युवा टीम भी सक्रिय और जागृत है कि उनकी भागीादरी आपकों प्रत्येक कार्यक्रम में देखने को मिल जाएगी। प्रत्येक कार्यक्रम या आयोजन की जानकारी 47 ग्रुपों के माध्यम से 7 हजार विप्र बंधुओं तक पहुंचाई जाती है ताकि उनकी भी सक्रियता बनी रहे।

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अखण्ड अन्नक्षेत्र की तैयारी

विप्र फाउंडेशन बांसवाड़ा की टीम ने कोई भी भूखा ना सोएं का बड़ा संकल्प किया है। टिफिन व्यवस्था के बाद अब बांसवाड़ा के मन्दारेश्वर महादेव मंदिर में अखण्ड अन्नक्षेत्र संचालित करने की ठानी हैं। विप्र भोजन प्रसादी का शुभारंभ इसी सप्ताह हो जाएगा। यहां आकर कोई भी जरूरतमंद दोनों समय भोजन प्रसादी ग्रहण कर सकता हैं।

बांसवाड़ा को राष्ट्र स्तर पर मिला सम्मान

विप्र फाउंडेशन जोन-1A की बांसवाड़ा जिला इकाई की ओर से समाजोत्थान के इन कार्यक्रमों के कारण ही संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हैं। विप्र फाउंडेशन के संस्थापक संयोजक सुशील ओझा, राष्ट्रीय अध्यक्ष महावीर प्रसाद शर्मा सहित अन्य राष्ट्रीय एवं प्रांतीय पदाधिकारियों ने अनेक कार्यक्रमों व बैठकों में बांसवाड़ा टीम का विशेष उल्लेख करते हुए ना केवल बधाई दी,बल्कि सम्मान भी दिया। विफा जोन-1ए के प्रदेशाध्यक्ष के.के.शर्मा भी बांसवाड़ा की टीम पर गर्व महसूस करते हैं।

 

 

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