उदयपुर। दीपमालिका पर्व के तहत वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ श्रीनाथद्वारा में ठाकुरजी श्रीनाथजी के अन्नकूट उत्सव की विविध सकरी (अपरस) सामग्री पंच द्रविड़ ब्राह्मणों द्वारा तैयार की जाती है। पंच द्रविड़ ब्राह्मणों में भट्टमेवाड़ा, औदीच्य, नागर, साँचीहर, गिरनारा ब्राह्मण समाज आते हैं। इन वैष्णव ब्राह्मण समाज के लोगों में ठाकुरजी भगवान श्रीनाथजी के प्रति अटूट श्रद्धा, आस्था, विश्वास और समर्पण के चलते अन्नकूट भोग की यह सामग्री बनाने को लेकर भारी उत्साह होता है और वे इसे अपना दायित्व समझते हैं। इसिलए वे हर साल दीपावली त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
ठाकुरजी श्रीनाथजी की सेवा को अपनी श्रद्धा एवं कर्तव्य मानने के कारण यह ब्राह्मण वर्ग अपने अपने शहरों एवं गृहक्षेत्र में बाजारों में रोशनी के इस पर्व की रौनक एवं चमक दमक के नजारों तथा निजी पारिवारिक उमंग का त्याग कर श्रीनाथद्वारा आ जाते हैं। ये सभी सेवाधारी ब्राह्मण होते हैं। यानी उपर्युक्त पांच ब्राह्मण समाज के जिन लोगों ने ब्रह्मसंबंध संकल्प धारण कर रखा है उन्हें ही इस सेवा में शरीक होने की अनुमति होती है, वे इस निमित्त अधिस्वीकृत होते हैं।
इस बार दीपावली के दिन सूर्य ग्रहण होने से मंदिर मंडल को अन्नकूट उत्सव की अवधि और तिथियों में परिवर्तन कर इसे करीब दस दिन आगे खिसकाना पड़ा था। इसी कारण भोग की सामग्री निर्माण की तिथियों और अवधि में भी परिवर्तन करना पड़ा। इस बार यह उत्सव अक्षय नवमी पर 3 नवंबर को आयोजित हुआ और भोग की सामग्री का निर्माण 27 अक्टूबर से शुरू हुआ। इस बार भी बड़ी संख्या में पंच द्रविड़ ब्राह्मण समाज के लोगों ने इस अन्नकूट सेवा में श्रद्धा और उत्साह से हिस्सा लिया।

उदयपुर, राजसमंद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा आदि जिलों के साथ ही गुजरात से बड़ी संख्या में भट्टमेवाड़ा ब्राह्मण समाज के सेवाधारी लोग श्रीनाथद्वारा आए और उत्साह से अन्नकूट सेवा में हिस्सा लेकर अपने आप को धन्य महसूस किया। श्रीनाथद्वारा में अन्नकूट सेवा में भट्टमेवाड़ा समाज के मुखिया राजीव भट्ट ने बताया कि इस पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ में श्री ठाकुरजी श्रीनाथजी को भोग लगाई जाने वाली सामग्री की अन्नकूट सेवा में उनके समाज के साथ ही औदीच्य, नागर, साँचीहर, गिरनारा ब्राह्मण समाज के लोगों द्वारा आठ दिन तक नाना प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इस बार भी 26 अक्टूबर से यह सामग्री बनाई गई।
इसके बाद दो अक्टूबर बुधवार दिनभर इन सेवकों द्वारा डोल तिबारी में शिखर धराया गया और रतन चौक में विविध सामग्री सजाई गई। भट्ट ने बताया कि इस महत्वपूर्ण सेवा में हिस्सा लेने वाले भट्टमेवाड़ा ब्राह्मण समाज के प्रमुख एवं वरिष्ठ सेवकों में मुकुटबिहारी दीक्षित, जगत शिरोमणि दीक्षित, बालेंदुशेखर व्यास, हरीश शर्मा, डॉ. श्रीकांत जोशी, डॉ. विनय जोशी, राजेन्द्र शेखर व्यास, गोपाल जोशी के अलावा युवा टीम के विशेषज्ञ में प्रवीण जोशी, वागीश शर्मा, मुकुंद व्यास, भूपेश एल. दीक्षित, रोहित पंड्या, गौरव भट्ट, मधुर शास्त्री, जय भट्ट, भूपेश एम. दीक्षित, यश पंड्या, अनन्य शेखर व्यास, प्रांशु दीक्षित, उत्तम पंड्या, सोमशेखर व्यास, सतीश मेहता, कपिल दीक्षित, हितेश जोशी, पंकज वत्सल पंड्या, समीर मेहता, धीरज पंड्या, डॉ. कुलशेखर व्यास, धरेश पंड्या, अतुल भट्ट, निधीश पंड्या, वैभव दीक्षित, तमिश द्विवेदी, सुधींद्र शेखर व्यास, जय भट्ट, डॉ. तरुण दवे, विमल दवे, श्रीराज पंड्या, यश पंड्या, मौलिक दीक्षित, यज्ञ जोशी, मनीष दीक्षित, गजेंद्र दीक्षित, आदित्य जोशी, चिराग द्विवेदी, पराग द्विवेदी, हेमंत शर्मा आदि शामिल हैं। इनके अलावा इस सेवा में बालगोपाल ने भी श्रद्धा से भाग लिया। इस बार भाग लेने वाले बालगोपाल में हेतु दीक्षित, वैभव दीक्षित, लवीश दीक्षित, प्रणम्य शेखर व्यास, भौम्य शेखर व्यास, वंश दीक्षित, अथर्व दीक्षित आदि शामिल हैं। इस बार प्रणम्य शेखर व्यास और भौम्य शेखर व्यास ब्रह्मसंबंध लेकर अन्नकूट सेवा के लिए अधिस्वीकृत हुए।