राजस्थान में कोयले की कमी से फिर हो सकता है बिजली संकट, 5 दिन का ही कोयला स्टॉक ही बचा

कोयला स्टॉक

जयपुर : प्रदेश में एक बार फिर बिजली संकट के हालात बन रहे हैं। राज्य के थर्मल पावर प्लांट्स में 2 से 5 दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है। गाइडलाइन में तय है कि 26 दिन का स्टॉक होना चाहिए। ऐसे में कोयला किल्लत बड़ा रूप ले सकती है। कोयला संकट के बीच 16 फरवरी को बिजली की अधिकतम डिमांड 15784 मेगावाट तक पहुंच गई, जबकि बिजली की औसत उपलब्धता 12488 मेगावाट ही थी। पीक आवर्स में 3296 यूनिट बिजली कम पड़ गई। हालांकि नॉन पीक आवर्स में औसत डिमांड 11814 रही। पीक आवर्स में अधिकतम डिमांड को पूरा करने के लिए एक्सचेंज से 114.25 लाख यूनिट बिजली की खरीद करनी पड़ी है। जिसे 5.77 रुपए प्रति यूनिट औसत दर पर खरीदी गई है।

प्रदेश में सोलर से 239.16 लाख यूनिट और विंड पावर प्लांट्स से 49.71 लाख यूनिट बिजली काम में ली गई है। हालात यही रहे तो गांवों, कस्बों और शहरों में पावर कट का सामना करना पड़ सकता है। 3 महीने पहले नवम्बर 2021 में भी ऐसे ही हालात बने थे। जब कोयले की कमी के कारण प्रदेश के 7 थर्मल प्लांट्स में बिजली उत्पादन प्रभावित हो गया था। सरकार ने 2 से 5 घंटे तक बिजली कटौती की थी। अब धीरे-धीरे तापमान में बढ़ोतरी के साथ घरेलू, इंडस्ट्रियल, कमर्शियल और खेती में सिंचाई के लिए बिजली की डिमांड भी बढ़ रही है।

कोयला स्टॉक

निगम ने एक्स्ट्रा कोयला रैक मांगी

ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी के कोयला स्टॉक बढ़ाने के निर्देशों के बाद उत्पादन निगम के अफसर हरकत में आए हैं। एसीएस सुबोध अग्रवाल और उत्पादन निगम सीएमडी राजेश शर्मा ने ज्यादा से ज्यादा कोयला रैक की सप्लाई लेने की कवायद फिर से शुरू की है। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को 23 कोयले की रैक राजस्थान के लिए छत्तीसगढ़ की कोल माइंस से रवाना हुई हैं। इससे पहले मंगलवार को 19 रैक डिस्पैच हुई थी। कोयला की यह सप्लाई रेगुलर जारी रखना बड़ी चुनौती है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में पारसा ईस्ट एंड कांता बेसिन की मौजूदा फेज-1 माइंस में कोयला दो हफ्ते का ही बचा है। ऐसे में प्रदेश सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द फेज-2 की माइंस से कोयला खनन की मंजूरी मिल जाए। तब तक कोल इंडिया लिमिटेड से एक्स्ट्रा कोयला आवंटन के लिए संपर्क साधना शुरू कर दिया गया है।

मंत्री भाटी ने कोयला देने की रखी मांग

मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बताया कि बुधवार को ही केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की है। विभाग के सचिव भी केन्द्रीय कोयला सेक्रेटरी और रेलवे के सीनियर अफसरों के सम्पर्क में हैं। केन्द्रीय कोयला मंत्री ने विदेशों से इम्पोर्टेड कोयला लेने का सुझाव दिया है, लेकिन इम्पोर्टेड कोयला और ज्यादा महंगा मिलेगा। जिसका सीधा भार बिजली उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज के रूप में पड़ेगा। इसलिए कोल इंडिया से दूसरे राज्यों के हिस्से में बराबर कटौती करके प्रदेश को देने की डिमांड रखी है। भाटी ने बताया कि रेल मंत्रालय से कोयला लाने के लिए अलग से रेलवे रैक देने की मांग की है। अंतिम ऑप्शन के तौर पर जरूरत पड़ी तो इम्पोर्टेड कोयला लेने और शॉर्ट टर्म टेंडर के जरिए बिजली की खरीद भी की जाएगी, लेकिन बिजली उपभोक्ताओं को परेशानी नहीं आने दी जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *