जयपुर: रीट भर्ती पेपर लीक मामले में राजस्थान हाइकोर्ट से बड़ी खबर है। हाइकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने से इनकार कर दिया है। याचिका में रीट भर्ती मामले की जांच सीबीआई से कराने की गुहार थी जिसे कोर्ट ने इंकार करते हुए एसओजी (SOG) को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए है। कोर्ट ने यह माना कि इस स्कैम में रसूखदार लोगों का इनवॉल्वमेंट है, इसलिए SOG को हाईकोर्ट की निगरानी में जांच करने के आदेश दिए हैं। चीफ जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस सुदेश बंसल की डिविजनल बेंच ने ABVP की जनहित याचिका पर सुनवाई करते कोर्ट रूम में मौजूद SOG के अफसरों को 4 हफ्ते में जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा। साथ ही चेताया कि अगर कोर्ट जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होगा, तो स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया जाएगा।
कोर्ट ने SOG की जांच पर ही प्रथम दृष्टया संतुष्टि जताते हुए कहा मौजूदा परिस्थितियों में CBI जांच और उसकी दखल की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने रीट अभ्यर्थी मधु नागर और भागचंद शर्मा की याचिकाओं को भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इसी केस के साथ अटैच कर दिया है। इन याचिकाओं पर भी कोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा। 4 सप्ताह बाद 6 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई होगी।
बता दें कि मामले में 27 सितंबर को एफआईआर भी दर्ज कराने की कोशिश की गई। लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। याचिका में कहा गया कि मामले में एसओजी सिर्फ फोरी तौर पर जांच कर रही है। चार माह से अधिक का समय बीतने के बाद भी एसओजी पेपर लीक से जुड़े छोटे खिलाडियों तक ही पहुंच पाई है। याचिका में यह भी कहा गया था कि बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष डीपी जारोली मान चुके हैं कि प्रकरण को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। प्रकरण की जांच एसओजी (SOG) को सिर्फ सरकार का चेहरा बचाने और राजनीतिक कारणों के चलते दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि प्रकरण में राजनेता, अफसर और पुलिस अधिकारी, कोचिंग माफिया और दलालों ने मिलकर पेपर लीक कराते हुए करोड़ों रुपए कमाए हैं। ऐसे में प्रकरण की जांच एसओजी से लेकर सीबीआई को सौंपी जाए।