राजस्थान में बार-बार होने वाली नेटबन्दी से आहत हुआ राँझा

राँझा

जयपुर : हीर की तलाश में दर-दर भटकते राँझा को राजस्थान में होने वाली नेटबन्दी ने खासा परेशान किया। नेटबंदी के चलते उसे ना कैब मिल पाई और ना ही हीर से फेसबुक या व्हाट्सअप के जरिये बात हो पाई। जब-जब भी संपर्क स्थापित हुआ नेटबंदी ने सब पर पानी फेर दिया। परंपरागत आख्यान में आधुनिक सन्दर्भ को जोड़ते हुए प्रसिद्द संस्था वीणा पाणी कला मंदिर की ओर से जयपुर के लोकनाट्य तमाशा “राँझा हीर” का मंचन ब्रम्हपुरी के छोटा अखाडा में किया गया। वर्षों से होली के अवसर पर जनमानस का मनोरंजन कर रहे भट्ट परिवार की आन-बान-शान और जयपुर की पहचान बन चुके इस तमाशे का निर्देशन प्रसिद्द तमाशा गुरु वासुदेव भट्ट ने किया।

राँझा की भूमिका में तपन भट्ट और हीर की भूमिका में विनत भट्ट थे। चितरंगा की भूमिका में विशाल भट्ट ने निभाई। सौरभ भट्ट और कपिल शर्मा द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना से प्रारंभ हुए इस तमाशे में संवाद भट्ट एवं अभिनय भट्ट ने रांझा की प्रेमिका की भूमिका अदा की। तबले पर शेलेन्द्र शर्मा और अनुज भट्ट ने, हारमोनियम पर सौरभ भट्ट, शरद भट्ट ने एवं वायलिन पर फिरदौस अली और मंजूर अली ने संगत की। शास्त्रीय संगीत पर आधारित इस लोक नाट्य तमाशा में प्रमुख राग रागनियों यथा पहाड़ी-भूपाली, सिंध-काफी, मालकौस, मांड, केदार, जौनपुरी, दरबारी, पीलू, काफी, भैरवी आदि बंदिशों के माध्यम से कथानक प्रस्तुत किया गया।

 राँझातमाशे में शास्त्रीय गायकी के साथ दर्शकों ने राँझा और चितरंगा के मजेदार संवाद एवं राँझा हीर के वाद विवाद का भी भरपूर आनंद लिया। राँझा द्वारा अपने बाग एवं गढ़ की बनावट के तरीके को विशिष्ठ अंदाज में प्रस्तुत किया। तमाशा कलाकारों ने तमाशा के कथानक को आधुनिक संदर्भो से जोड़ते हुए वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों जैसे राहुल गांधी बनाम मोदी, अडानी मोदी संबंध, गहलोत पायलेट टकराव, राजस्थान में बार-बार पेपर लीक होने, नेट बंदी होने के साथ फिर से रसोई गैस के दाम बढ़ने पर आम जनता को होने वाली परेशानी पर भी प्रहार किया। इस अवसर पर तमाशा के परम्परागत दर्शकों के सम्मान के क्रम में तमाशा के वरिष्ठ दर्शक हरि मोहन अग्रवाल, बंशी सैन, राधा मोहन दाधीच और शम्भू दयाल भट्ट को तमाशा सुधि जन सम्मान दिया गया।

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