श्रीफल पुरस्कार नहीं, बल्कि दायित्व को समझने वालों का सम्मान

श्रीफल पुरस्कार नहीं, बल्कि दायित्व को समझने वालों का सम्मान

डूंगरपुर। 12वां श्रीफल पत्रकारिता समारोह- 2020 रविवार काे अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के सान्निध्य में डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा गांव के शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित किया गया। श्रीफल फाउण्डेशन के मुख्य ट्रस्टी राजेश शाह मुम्बई, प्रेरणा शाह, उषा खाेडनिया सागवाड़ा अतिथि रहे। सात कैटेगरी में पत्रकारों का सम्मान किया गया। कलश स्थापना दिगम्बर जैन समाज, भीलूड़ा के पंच महानुभवों ने की। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन किया।

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सरस्वती देवी को पुष्प अर्पण महिला मंडल ने किया। मंगलाचरण सरस्वती स्तोत्र पंडित सुमित जैन ने किया। समाज के अध्यक्ष अरविन्द्र शाह ने स्वागत उद्बोधन दिया। सामूहिक नृत्य श्री शांतिनाथ ग्रुप व अन्तर्मुखी ग्रुप की बालिकाओं ने किया। इस दाैरान धार्मिक श्रीफल परिवार  सदस्य भीलूड़ा का शपथ ग्रहण भी हुआ। मुनि पूज्य सागर महाराज की पुस्तक आत्मिक उत्थान भाग-1 का विमाेचन भी हुआ। इस दाैरान तुष्टी दीदी, राजेश शाह, प्रेरणा शाह माैजूद रहे। राजेश शाह ने आभार व्यक्त किया। संचालन धर्मेंद्र जैन ने किया।

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सम्मानित 6 पत्रकारों व एक विद्वान काे प्रतीक चिन्ह, 21 हजार रुपए, अभिनंदन पत्र, स्वागत माला व तिलक तथा श्रीफल सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले पत्रकारों में राजस्थान पत्रिका समूह के ग्रुप कार्टूनिस्ट/ डिप्टी एडिटर अभिषेक तिवारी, जयपुर को स्वर्गीय कर्पूरचंद कुलिश स्मृति श्रीफल पत्रकारिता पुरस्कार, दैनिक जागरण, धनबाद के संपादक प्रभारी डॉ चंदन शर्मा को अभिनंदन सागर स्मृति पुरस्कार, दैनिक भास्कर, जयपुर के विशेष संवाददाता आनंद चौधरी को अतुल्य सागर स्मृति पुरस्कार, द टाइम्स ऑफ इंडिया, जयपुर के प्रधान संवाददाता मोहम्मद शोएब खान को चारूकीर्ति भट्टारक स्वामी, श्रवणबेलगोला स्मृति पुरस्कार, दूरदर्शन दिल्ली के कन्टेन्ट एडवाइजर कुंदन कुमार श्रीवास्तव को भगवान बाहुबली स्मृति पुरस्कार, मुख्यमंत्री कार्यालय जनसम्पर्क विभाग के सहायक निदेशक तरुण जैन को रत्न अम्मा हेगड़े धर्मस्थल स्मृति पुरस्कार तथा डॉ. श्रेयांस जैन को चारित्र चक्रवती श्री शांतिसागर विद्वान पुरस्कार से नवाजा गया।

इसके अलावा श्रीफल सर्वश्रेष्ठ परिवार पुरस्कार श्रीमती प्रतिभा अशोक जैन,भीलूड़ा और श्रीमती चंदनबाला हितेश जैन,भीलूड़ा को दिया गया।

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इस मौके पर प्रवचन करते हुए अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर जी महाराज ने कहा कि श्रीफल पुरस्कार एक पुरस्कार नहीं, बल्कि समाज में संस्कार और संस्कृति को अक्षुण्ण रुखने की सोच रखने वाले व्यक्तियों को एक मंच पर लाने का प्रयास है। काम,आचरण और दायित्व को समझने वालों का सम्मान है। इसके साथ ही दायित्व भी देखा जाता है। इसलिए शायद पत्रकारिता के क्षेत्र में देश का यह पहला पुरस्कार है जो प्रविष्टि मंगाए बिना दिया जाता है।

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उन्होंने यह भी कहा कि सब पूछते हैं कि संत का पत्रकारिता पुरस्कार से क्या सम्बंध। जवाब है कि संत और पत्रकार ही ऐसे हैं जिन्हें संयम रखने की आवश्यकता होती है। संत अपने आपको संयमी बनाकर अपने आपको ऊँचाई तक ले जाने का काम करता है और वह समाज में सकारात्म सोच देते हैं तथा स्वयं ऊंचाई पर पहुंचने के बाद वह सब के आदर्श बन जाते हैं। पत्रकार अपने मन पर संयम रखते हुए सामाजिक,राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र की गंदगी को अपनी कलम से निकालकर  समाज को स्वच्छ बनाता है और समाज में घटने वाली घटनाओं में सकारात्मक सोच को जन्म देता है। जो ऐसा करता है, वही वास्तव में पत्रकार है। अगर दोनों ही अपना संयम छोड़ दे तो सारे क्षेत्र अपवित्र हो जाएंगे।

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