एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के कार्यक्रम में पहुंचे सांसद किरोड़ी लाल भड़के, राठौड़ को सुनाई खरी-खोटी

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जयपुर : एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के स्वागत कार्यक्रम में एंट्री को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता आपस में भिड़ गए। बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने आदिवासी जिलों के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम में एंट्री नहीं देने पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को जमकर खरी-खोटी सुनाई। जवाब में राठौड़ ने भी किरोड़ी को लहजा सुधारने की नसीहत दी। काफी देर तक दोनों नेताओं के बीच बहस चलती रही। मामला इतना बढ़ गया कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बीच-बचाव कर मामला शांत करवाया। वहीं, कांग्रेस ने भाजपा नेताओं की आपसी तकरार पर चुटकी ली है। असल में होटल क्लार्क्स आमेर में द्रौपदी मुर्मू के स्वागत कार्यक्रम में केवल उन्हीं नेताओं को एंट्री दी जा रही थी, जिनके पास बने हुए थे। किरोड़ीलाल आदिवासी जिलों के कुछ नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ स्वागत के लिए पहुंचे थे।

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विवाद की शुरुआत एयरपोर्ट पर ही हो गई थी। किरोड़ीलाल मीणा के साथ आए आदिवासी नेताओं को पास नहीं होने का हवाला देकर कार्यक्रम में एंट्री नहीं देने की बात कही तो किरोड़ी भड़क गए। एयरपोर्ट पर ही बीजेपी के कुछ नेताओं को खरी खोटी सुनाई और यहां तक कह दिया कि चाटुकारों की भीड़ इकट्ठा कर रखी है। सैकड़ों किलोमीटर से चलकर आने वालों से पास पूछ रहे हैं। उनके साथ आए कार्यकर्ताओं को जब एंट्री गेट पर रोका गया तो वे नाराज हो गए। किरोड़ीलाल आदिवासी नेताओं को अंदर लेकर पहुंच गए। इस दौरान कुछ नेताओं ने बीजेपी का झंडे ले रखा था। इस पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र ने झंडा बाहर रखने को कहा। शेखावत ने बीजेपी के पक्ष में नारेबाजी नहीं करने की भी नसीहत दे दी। इसके बाद किरोड़ीलाल और राजेंद्र राठौड़ के बीच हॉट टॉक हो गई।

किरोड़ी बोले- राठौड़ से मतभेद नहीं

इस घटना के बाद सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने ट्वीट कर सफाई दी कि आदिवासी कार्यकर्ताओं को रोकने पर गुस्सा स्वाभाविक था, राजेंद्र राठौड़ से मतभेद नहीं है। किरोड़ी ने लिखा- एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मूजी के अभिनंदन के लिए डूंगरपुर-बांसवाड़ा व अन्य सुदूर इलाकों से जयपुर आए आदिवासी कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम में प्रवेश नहीं मिला तो मेरे जैसे भावुक व्यक्ति को गुस्सा आना स्वाभाविक था। मैंने अपने आदिवासी भाई-बहनों की पीड़ा को राजेंद्र राठौड़ के सामने रखा। अपनों से अपनी बात नहीं कहता तो फिर किस से कहता? कोई कितनी भी कोशिश कर ले, मेरे और मेरे भाई राजेंद्र राठौड़ के बीच कोई मतभेद नहीं है, मनभेद होने का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता।

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