नेट-थियेट पर सुफी गायन ने समां बांधा, “ज़र्रे ज़र्रे में शकल नज़र आई है”

नेट-थियेट पर सुफी गायन ने समां बांधा

जयपुर। नेट-थियेट के कार्यक्रमों की श्रृंखला में देश के ख्यातनाम कव्वाल हाजी टिम्मू गुलफाम मुश्ताक़ अली ने ख्वाजा की शान में या मोहम्मद तुम्हारी नजर में कोई अपना पराया नहीं है सब पर नजरे करम है बराबर कोई अदनाव आना नहीं है नाद गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की उसके बाद उसके बाद उन्होंने सूफी राही धोलपुरी का क़लाम ” ऐसी पोशाक मेरे यार ने पहनाई है, ज़र्रे ज़र्रे में शकल नज़र आई है” गाकर माहौल को सुफियाना बनाया।

नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि मुश्ताक अली ने अपने साथी कलाकारों के साथ अमीर खुसरो की सुप्रसिद्ध कव्वाली “छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिला के ” गाई और दर्शकों की दाद बटोरी । इसके बाद उन्होंने “तोरी अखियां मतवारी आये गुलाल” गाकर माहौल को रूमानियत से भर दिया।

मुश्ताक अली के साथ बेंजो पर जावेद, तबले पर इमरान, ढोलक पर मुद्दसर और कोरस में जुनैद, जमाल और मुजम्मिल की शानदार संगत से कलाम ए सुफियाना कार्यक्रम को उंचाईयां दी । कार्यक्रम का संचालन आर. डी .अग्रवाल ने किया।
कैमरा जितेन्द्र शर्मा, प्रकाश मनोज स्वामी, मंच सज्जा घृति शर्मा, अंकित शर्मा नोनू और जीवितेष शर्मा संगीत राज साउण्ड शानू का रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *