जयपुर: बिजली के कोयला संकट को दूर करने के लिए राजस्थान को कोयला खनन के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस मिल गयी है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित पारसा- केंटे कैप्टिव कोल ब्लॉक के दूसरे फेज के तहत 1136 हैक्टेयर में माइनिंग शुरू करने के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से क्लीयरेंस मिल गई है। जिसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने यह कोल ब्लॉक राजस्थान को सौंपने की मंजूरी दे दी है। यह कोल ब्लॉक 5 MTPA यानी 5 मिलियन टन प्रति वर्ष कैपिसिटी का है।
नई दिल्ली में हुई हाई लेवल मीटिंग के बाद मिली मंजूरी
सूत्रों से पता चला है कि 21 अक्टूबर को नई दिल्ली में केन्द्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय (MOEF) और केन्द्रीय कोयला मंत्रालय के सेक्रेट्रीज ने सभी राज्यों के बिजली विभाग और बिजली कम्पनियों के सक्षम अधिकारियों के साथ हाई लेवल मीटिंग कोल ब्लॉक्स के पेंडिंग केसेज के निपटारे को लेकर की थी। जिसमें राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी भी शामिल हुए। उन्होंने इस कोल ब्लॉक से माइनिंग शुरू करवाने की परमिशन के लिए मजबूती से पक्ष रखते हुए बिजली संकट और मौजूदा कोयले की किल्लत की जानकारी केन्द्र सरकार को दी। जिसका रिजल्ट यह रहा है क्लीयरेंस और स्वीकृति जारी कर दी गई है।
2 से 3 रैक कोयले रोज खनन से जल्द मिल सकेगा
करीब 8 से 12 हजार टन यानी 2 से 3 रैक कोयला जल्द ही 2-3 महीनों में ही रोजाना पारसा केंटे कोल ब्लॉक के सेकेंड फेज से माइनिंग कर राजस्थान लाया जा सकेगा। जिससे 650 से 900 मेगावाट तक बिजली रोजाना और पैदा की जा सकेगी। इससे प्रदेश को बिजली संकट से निजात मिलने की उम्मीद है। दूसरे फेज से माइनिंग शुरू होते ही यहां से 2-3 रैक रोजाना निकाले जा सकेंगे।
आवंटित खदान से माइनिंग में क्यों हो रही थी देरी
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम यहां से कोयला खनन नहीं कर पा रहा था। इसका सबसे बड़ा कारण पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं मिल पाना था। साल 2015 से राज्य सरकार,ऊर्जा विभाग और राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम इसकी क्लीयरेंस और कोल माइनिंग के लिए लगातार कोशिश कर रहे थे। पेंच यह फंसा हुआ था कि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद,देहरादून (ICFRE) की ओर से ‘बायो डायवर्सिटी असेसमेंट रिपोर्ट’ छत्तीसगढ़ सरकार को देनी थी। उसके बाद ही यह राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को हैंडओवर की जानी थी।
बिजली संकट और कोयला किल्लत को लेकर रिव्यू बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिजली विभाग, बिजली कंपनी,राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों को केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय से संपर्क कर प्रदेश को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए बात करि थी। मुख्यमंत्री ने पारसा कांटा कैप्टिव कोल ब्लॉक के दूसरे चरण के 1136 हैक्टेयर में माइनिंग शुरू करने के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से बातचीत कर जल्द क्लीयरेंस लेने के भी निर्देश दिए थे।