छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के कारण गहराएगा राजस्थान में बिजली संकट

जयपुर। कहने को तो छत्तीसगढ़ व राजस्थान में एक ही दल कांग्रेस की सरकारें है,लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार राजस्थान को कोयले की आपूर्ति में बाधक बनी हुई हैं। कोयले की खान छत्तीसगढ़ में है जिसे हाल में केेन्द्र ने राजस्थान को आवंटित किया है। केन्द्र से तो सारी आवश्यक क्लीयरेंस मिल गई,लेकिन छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अनुमति ही नहीं जारी कर रही। मुसीबत के दौर में एक राज्य दूसरे की मदद को तैयार नहीं है। अगर राजस्थान को छत्तीसगढ़ में अलॉट पारसा कोल ब्लॉक खान में माइनिंग के लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंजूरी नहीं मिली तो राजस्थान में बिजली संंकट गहरा सकता हैँ।

Power crisis in Rajasthan will deepen due to Congress government of Chhattisgarh

कोयला संकट के दौर में मुख्यमंत्री गहलोत ने हाईलेवल की बातचीत कर 2 नवंबर को कोल मिनिस्ट्री से इस खनन के लिए क्लीयरेंस जारी करवाई थी। इससे पहले वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से क्लीयरेंस ले ली गई। दो केंद्रीय मंत्रालयों से राजस्थान 15 दिनों में दो महत्वपूर्ण क्लीयरेंस लेने में सफल रहा, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने क्लीयरेंस फाइल अटका दी है। ऐसे में राजस्थान अपनी ही कोयला खान से माइनिंग नहीं कर पा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कोल ब्लॉक की जमीन छत्तीसगढ़ के वन विभाग क्षेत्र में आती है। आदिवासी क्षेत्र में कुछ स्थानीय नेताओं और लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वोट बैंक को देखते हुए छत्तसीगढ़ सरकार मंजूरी नहीं दे रही है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर जरूरी स्वीकृतियां जारी करने का आग्रह भी किया है, लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ सरकार टस से मस नहीं हुई है। खनन के लिए जरूरी स्वीकृतियां जारी नहीं की गई हैं।

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