जयपुर सहित छह शहरी क्षेत्रों में प्रधान-अप्रधान खनिज के भण्डार चिन्हित, खनन पट्टों की नीलामी हेतु नगरीय विकास विभाग से बनाया जा रहा है समन्वय-एसीएस अग्रवाल

जयपुर। राज्य के माइंस विभाग ने जयपुर सहित 6 शहरी क्षेत्रों में प्रधान और अप्रधान खनिजों का विपुल भण्डार चिन्हित किये हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं प्रेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने नगरीय विकास विभाग से समन्वय बनाते हुए इन क्षेत्रों में खनन पट्टे जारी करने की अनुमति के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इन क्षेत्रों में अवैध खनन को रोकने के साथ ही खनन पट्टों की ई-नीलामी से आगामी 50 सालों में हजारों करोड रु. का राजस्व प्राप्त किया जा सके।

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम गुरुवार को सचिवालय में माइंस विभाग के अन्य विभागोें में विचाराधीन अन्तरविभागीय मुद्दों की प्रगति समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जयपुर, भीलवा़ड़ा, जैसलमेर, अजमेर, जोधपुर और बीकानेर मेें चेजा पत्थर, सेंड स्टोन, पीला चूना पत्थर, ग्रेनाइट, बॉल क्ले, सिलिका सेंड, बजरी, ग्रेवल, आयरन ऑर व मेसनरी स्टोन के भण्डार क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि माइंस विभाग द्वारा किए गए खनिज संभावित क्षेत्रों के आंकलन और चिन्हीकरण के अनुसार जयपुर शहरी क्षेत्र में चेजा पत्थर के 64.50 हैक्टेयर क्षेत्र में 287.50 मैट्रिक टन के भण्डार संभावित है जिससे 25 से 30 करोड़ का सालाना राजस्व संभावित है। जोधपुर शहरी क्षेत्र में 1761.16 हैक्टेयर क्षेत्र में 962.20 मैट्रिक टन सेंड स्टोन के भण्डार से 100 से 125 करोड़ रु. सालाना राजस्व संभावित है। जैसलमेर शहरी क्षेत्र में 188.10 हैक्टेयर क्षेत्र में 3 मैट्रिक टन पीला चूना पत्थर के भण्डार का आंकलन किया गया है जिससे 37.70 करोड़ रु. सालाना राजस्व संभावित है। अजमेर शहरी क्षेत्र में 227.10 हैक्टेयर में ग्रेनाइट और 501.64 हैक्टेयर में चेजा पत्थर की संभावना है और इससे 120 से 150 करोड़ रु. तक सालाना राजस्व राज्य सरकार को प्राप्त होने का अनुमान है। इसी तरह से बीकानेर में बॉल क्ले, सिलिका सेंड, बजरी, ग्रेवल के 500 हैक्टेयर में 65 मैट्रिक टन के संभावित भण्डार है जिससे राज्य सरकार को 7 से 8 करोड़ रु. सालाना राजस्व प्राप्त हो सकता है।

एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि भीलवाड़ा में आयरन ऑर के 53.72 टन के भण्डार का आंकलन किया गया है इससे 50 साल में 3900 करोड़ रु. के राजस्व की संभावना है। उन्होंने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार मेसनरी स्टोन के 1100 हैक्टयर में 850 मैट्रिक टन के भण्डार का आकलन किया गया है जिसमेें खनन पट्टें जारी करने से आगामी 50 सालों में 2584 करोड़ रु. का राजस्व संभावित है।

डॉ अग्रवाल ने बताया कि विभाग द्वारा नगरीय विकास विभाग से उच्च स्तर पर समन्वय बनाया जा रहा है ताकि शहरी क्षेत्र में आएं इन खनिज भण्डारों के अवैध खनन पर प्रभावी रोक लगाई जा सके, नियमानुसार खनन पट्टों की ई नीलामी की जा सकें ताकि वैज्ञानिक तरीके से खनन हो सके और राजस्व की छीजत रोकने के साथ ही राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त हो सके।

बैठक में राजस्व, वन व पर्यावरण विभाग से संबंधित अन्तरविभागीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई और संबंधित विभागों से उच्च स्तर पर समन्वय बनाते हुए प्रकरणों पर त्वरित कार्यवाही करवाई करवाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने बताया कि राज्य में खनन पट्टों की नीलामी के साथ ही वैध खनन को बढ़ावा देने और राजस्व बढ़ोतरी के समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं।

निदेशक खान केबी पण्डया ने विचाराधीन अन्तरविभागीय प्रकरणों की विस्तार से जानकारी दी और उच्च स्तर पर इनके समाधान कराने का आग्रह किया। बैठक में उप सचिव माइंस नीतू बारुपाल, एसएमई प्रताप मीणा, डीएलआर गजेन्द्र सिंह, एसजी सुनील कुमार सहित अधिकारी उपस्थित थे।

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