जयपुर। इंसान को जीने के लिए सिर्फ रोटी कपड़ा और मकान की ही जरूरत नहीं होती और भी वगैरह वगैरह की जरूरत होती है यह वगैरह आदिम भूख का ही दूसरा नाम है, जिसे ठरक भी कहते हैं जो होती तो हर किसी में है पर उसे उजागर कोई नहीं करता….. रंगशिल्प द्वारा आज राजस्थान पुलिस अकादमी परिसर में स्थित ऑडिटोरियम में पंकज सुबीर कहानी पर आधारित नाटक चौथ परमार साहब का मंचन किया गया। कहानी का नाट्य रूपांतरण नीरज गोस्वामी ने किया और नाटक का निर्देशन युवा रंगकर्मी एवं निर्देशक श्री अनिल मारवाड़ी ने किया।
प्रदेश के शिक्षा अधिकारी द्वारा किये गए गाँव के एक स्कूल के औचक निरिक्षण के दौरान जब हैडमास्टर और मास्टर सहित बच्चे भी स्कूल से गायब दिखे तो इसे गंभीर अपराध मानते हुए उन्होंने हैडमास्टर चौथमल मास्साब का ट्रांसफर सौ किलोमीटर दूर दूसरे गाँव में कर दिया। मास्साब को दूसरे गाँव में रहने खाने की चिंता नहीं थी उन्हें परेशानी थी कि वहाँ ‘वगैरह’ का प्रबंध कैसे होगा ? ‘वगैरह’ का अर्थ अपनी पत्नी को मास्साब यूँ समझाते हैं कि ‘काम क्रोध लोभ मोह में से जब क्रोध लोभ और मोह को घटाते हैं तो जो बचता है वो ‘वगैरह’ होता है’।
इंसान की इसी आदिम भूख ‘वगैरह’ को केंद्र में रख लिखी पंकज सुबीर की असाधारण कहानी का नाट्य रूपांतरण नीरज गोस्वामी ने बहुत कुशलता से नाटक ‘चौथमल मास्साब’ में किया। जिसे राजस्थान पुलिस अकादमी के खचाखच भरे भव्य सभागार में लोकनाट्य शैली में प्रस्तुत कर दर्शकों की तालियाँ बटोरीं।
‘चौथमल मास्साब’ के चुनौती पूर्ण पात्र को वरिष्ठ रंगकर्मी ईश्वर दत्त माथुर ने अपनी अभिनय और गायन क्षमता से जीवित कर दिया। मंच पर अभिनय में उनका साथ सरस्वती उपाध्याय, देवयानी सारस्वत, रेनू सनाढ्य, मोईनुद्दीन, मनोज स्वामी,मनोज अडवाणी, राजेंद्र राजू ,सागर गढ़वाल मनीष योगी, बाल कलाकार कवितेश और नीरज गोस्वामी ने बखूबी निभाया। भानु प्रताप ने अपने गायन से और वीरेंद्र सिंह नगीना ने ढोलक वादन से समां बाँध दिया।
नाटक का संगीत पंडित अलोक भट्ट, नृत्य निर्देशन जीतेन्द्र शर्मा, मंच परिकल्पना अलोक पारीक मेकअप राधे लाल बांका तथा प्रकाश व्यवस्था राजेंद्र शर्मा राजू ने संभाली। प्रस्तुति प्रबंधक थे गुरमिंदर सिंह पूरी ‘रोमी’ तथा धृति शर्मा।