राज्यपाल सम्मेलन में कलराज मिश्र ने दी राजस्थान के मुद्दों को धार, कहा- बाजरे को करें पोषाहार में शामिल, जल मिशन में भी दे 90 फीसदी पैसा

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जयपुर : जल जीवन मिशन योजना के तहत केंद्र से मिलने वाले अनुदान को बढ़ाने की मांग अब तक प्रदेश की गहलोत सरकार और जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ही कर रहे थे, लेकिन अब राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी इसका समर्थन किया है। यह बात अपने सम्बोधन में राज्यपाल कलराज मिश्र राष्ट्रपति भवन में हुए 51वें राज्यपालों और उप राज्यपालों के सम्मेलन में कही। उन्होंने मांग रखी कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश को 50-50 की बजाय 90-10 के रेश्यो में पैसा दिया जाए। जिसमें केन्द्र सरकार का 90 फीसदी पैसा लगाए। साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्थान में बाजरा सबसे ज्यादा पैदा होता है। यह बहुत पोषण देता है। आईसीडीएस और मिड डे मील के लिए इसे पोषाहार में शामिल किया जाए। इसके लिए राष्ट्रीय नीति तैयार की जानी चाहिए।

आदिवासियों को लोकल लेवल पर रोजगार मुहैया कराएं

राज्यपाल मिश्र ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत राज्यपालों और उप राज्यपालों के सामने राजस्थान के विकास से जुड़े मुद्दों रखे। उन्होंने कहा कि दक्षिण राजस्थान एरिया में वाटर स्टोरेज की प्रभावी योजना बनाई जाए, ताकि आदिवासियों को लोकल लेवल पर रोजगार मुहैया कर उनके पलायन को रोका जा सके।

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मिश्र ने कहा कि बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों की लगभग 17 लाख हेक्टेयर जमीन माही बेसिन में आती है। इस एरिया में मास्टर प्लान की कमी से बारिश का पानी बहकर वेस्ट हो जाता है। जिसे रोकना जरूरी है। प्रदेश के सीमित वाटर रिसोर्सेज को देखते हुए राजस्थान को जल जीवन मिशन में 90 फीसदी पैसा केन्द्र सरकार दे।

नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत पात्र लाभार्थियों की सीमा बढ़ाए

राज्यपाल ने आदिवासी इलाके में इंटरनेशनल लेवल स्पोर्ट्स और ट्रेनिंग फैसिलिटी उपलब्ध करवाने की भी मांग रखी। जिससे देश को खिलाड़ी मिलेंगे और इलाके में रोजगार की समस्या का सॉल्यूशन भी होगा। उन्होंने पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप का हिस्सा वक्त पर राज्य को जारी करने की भी जरूरत बताई। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि राजस्थान में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत पात्र लाभार्थियों की सीमा बढ़ाई जाए।

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बाजरे से बहुत पोषण मिलता है। राजस्थान में बाजरे की सबसे ज्यादा पैदावार होती है। ऐसे में अलग-अलग राज्यों में इंटीग्रेटेड चाइल्ड डवलपमेंट स्कीम और मिड डे मील के लिए प्रदेश के बाजरे का इस्तेमाल करने की एक राष्ट्रीय नीति तैयार हो। उन्होंने प्रदेश की महत्वपूर्ण पेंडिंग रेल परियोजनाएं भी जल्द पूरी कराने की मांग रखी।

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