जयपुर। सुशील, सद्गुणी और तेजस्वी संतान के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से चलाए जा रहे “आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी आंदोलन” के अंतर्गत बुधवार को गायत्री शक्तिपीठ वाटिका में 16 महिलाओं का निःशुल्क पुसंवन संस्कार कराया गया। शक्तिपीठ के व्यवस्थापक सुरेश कुमार शर्मा ने गर्भ पूजन करवाया और गर्भावस्था में रखी जाने वाली सावधानियों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि माता बनना गौरव की बात है, परंतु श्रेष्ठ संतान की माता बनना सौभाग्य की बात है। इसलिए सात्विक माता-पिता की संतानें जिनका लालन-पालन उचित रीति से होता है, उन्हीं से माता.पिता सुख उठाते हैं और संसार का भी कुछ हित साधन होता है। उत्तम संतान के लिए भारी मूल्य चुकाना पड़ता है। जन्म से पहले भी और गर्भावस्था से शैशवकाल तक। उन्होंने कहा कि गर्भवती स्त्री के साथ पति और परिवार वाले का प्रिय व्यवहार करना चाहिए।
सुपाच्य-बलवर्धक वस्तुओं का करें सेवन
विजय मीणा ने आहार-विहार, गर्भस्थ शिशु से संवाद, योग-प्राणायाम की जानकारी देते हुए कहा कि गर्भवती स्त्री को घी, मक्खन, दूध, फल आदि का सुपाच्य और बलवर्धक वस्तुओं का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। हल्का सुपाच्य के साथ-साथ कम भोजन करना चाहिए। गर्भवती स्त्री को अति व्यायाम और अति भारी कोई भी कार्य से बचना चाहिए। वातकारक पदार्थो का अधिक सेवन उसे नहीं करना चाहिए अन्यथा वायु प्रकुपित होकर गर्भ के बालक को कुबड़ा, अंधा, जड़ अथवा वामन बना देती है।