जयपुर। नेट थिएट कार्यक्रमों की श्रंखला मैं आज रंग मस्ताने ग्रुप की ओर से अंधेरा नाटक का सशक्त मंचन किया गया। नाटक में सांप्रदायिक नफरत की तुलना अंधेरे से की है एवं सांप्रदायिक प्यार की तुलना रोशनी से की है। नेट थिएट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि अंधेरा के कहानीकार अखिलेश द्वारा रचित कहानी का नाट्य रूपांतरण वरिष्ठ रंगकर्मी दौलत वैद्य ने किया और इस नाटक के निर्देशक युवा रंगकर्मी अभिषेक मुद्गल ने कलाकारों के अभिनय को ऐसा सवारा की नाटक जीवंत हो उठा।
कथासार
नाटक ‘अँधेरा ‘ एक साथ प्रेम और सांप्रदायिक दंगों की कहानी है। यह सांप्रदायिक दंगों में फंसे एक हिन्दू लड़के और एक मुस्लिम लड़की की कहानी है जो मज़हबी भेदभाव के बावजूद एक दूसरे को अत्यधिक प्रेम करते है। लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि सांप्रदायिक दंगों में नेक, गरीब और अमन चाहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते है। साथ ही दंगो में दोनों मज़हब समान रूप से प्रभावित होते है। हाल ही में जयपुर के रामगंज मंडी में हुए दंगो का धुंधला चेहरा भी इस कहानी से देखा जा सकता है। दंगो की वजह से 5 दिन तक कर्फ़्यू रहने के कारण आम जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था, जिसके चलते हर वर्ग के लोगों को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। दंगे तूफान की तरह होते है जो एक ही पल में ज़िन्दगीभर के ज़ख्म छोड़ जाते है। नाटक का सार यही है कि जहाँ एक तरफ प्रेम ‘अमन और शांति’ को बढ़ावा देता है, वही दूसरी तरफ दंगे ‘नफ़रत’ की जड़ो को और मजबूत करते है।
नाटक में हर्षित दोई, पुलकित जैन, यशवर्धन सिंह, खुशी गोस्वामी, अनमोल त्यागी, फैजान खान, देव स्वामी एवं गिरीश कुमार ने अपने पात्रों को अंतरंगता से जिया और अपने अभिनय की दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी। कोरस एवं मंच पार्श्व अनमोल त्यागी, प्रेमचंद बाकोलिया, विशाल कोटवानी, हिमांशु जैन, सकीना अंसारी और श्योजीत कुमार का रहा l अंधेरा नाटक का संगीत राहुल निर्वाण, प्रकाश परिकल्पना अमित चौधरी, मंच सज्जा गिरीश कुमार यादव, प्रस्तुति नियंत्रक गरिमा सिंह राजावत एवं मंच प्रबंधक सारा रिवर्स द्वारा किया गया