जयपुर। कोविड के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही राज्य की टूरिज्म एवं हॉस्पिटलिटी सेक्टर को इण्डस्ट्री सेक्टर का दर्जा प्रदान कर विद्युत दरों में रियायत देते हुए 700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजटीय प्रावधान किया हुआ हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2022-23 के बजट प्रस्तावों में बिन्दु संख्या 166 में टूरिज्म एवं हॉस्पिटलिटी सेक्टर को इण्डस्ट्री सेक्टर के अनुसार विद्युत दर और लेविज का प्रावधान किया है। बजट प्रस्तावों में ही स्पष्ट किया गया है कि इससे होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति पर राज्य सरकार पर 700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
कोविड की विपरीत परिस्थितियों के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था व रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे टूरिज्म एवं हॉस्पिटलिटी सेक्टर प्रभावित हुआ और उसे राहत देने की विभिन्न स्तरों पर मांग की जाती रही है। इस सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने की मांग भी 1989 से की जाती रही है जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल की बजट घोषणा में अमली जामा पहनाया गया है। इससे विद्युत खर्च व अन्य लेविज के कारण होने वाले व्यय को वहन करने के लिए बजट प्रस्तावों में ही 700 करोड़ रु. का अतिरिक्त प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। ऐसे में यह स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी श्रेणी के उपभोक्ताओं पर इसका कोई भार नहीं पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि डिस्काम्स द्वारा टूरिज्म एवं हॉस्पिटलिटी सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने के कारण पड़ने वाले वित्तीय भार के लिए किसी भी श्रेणी में टेरिफ बढाने का कोई प्रस्ताव नहीं किया गया है। अपितु राज्य सरकार द्वारा एक करोड़ 20 लाख घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। 50 यूनिट तक विद्युत खर्च करने वाले करीब 80 लाख बीपीएल, आस्था कार्डधारी, लघु घरेलू और सामान्य घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के विद्युत बिल तो शून्य राशि के हो गए हैं। घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को दी गई इस राहत पर करीब 6295 करोड़ का भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इसके अलावा टूरिज्म एवं हॉस्पिटलिटी सेक्टर के लिए 700 करोड़ रु. का अतिरिक्त भार का प्रावधान है जिसका वास्तविक आकलन टूरिज्म एवं हॉस्पिटलिटी सेक्टर के विद्युत उपभोक्ताओं के वास्तविक विद्युत व्यय के आधार पर हो सकेगा।