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शिक्षा मंत्री बोले- फैसले के अध्ययन के बाद आगे फैसला
जयपुर। निजी स्कूलों की फीस माफी की मांग कर रहे अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अभिभावकों को कोरोना काल के बीच की पूरी फीस स्कूलों को देनी होगी। फैसले को लेकर स्कूल और अभिभावक लंबे समय से प्रतीक्षारत थे। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने फैसला सुनाया हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर 2020 के हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया हैं। सभी कंटेम्प पिटीशन को भी खारिज किया गया। भारतीय विद्या भवन, SMS व अन्य स्कूलों की अपील पर आदेश दिया था। अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल और अधिवक्ता अनुरूप सिंघी और अन्य ने पैरवी की हैं।
शिक्षा मंत्री बोले- फैसले के अध्ययन के बाद आगे फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद कोई फैसला करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट पहले सुना चुका था अंतरिम फ़ैसला
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट अंतरिम फ़ैसला सुना चुका था। उस वक्त प्रदेश के लाखों अभिभावकों को झटका लगा था। अभिभावकों को कोरोनाकाल की पूरी फ़ीस देने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी। जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बैंच ने रोक लगाई थी। अंतरिम आदेश में कहा गया था कि साल 2019-20 में तय फीस के हिसाब से पूरी फीस देनी होगी। 6 किस्तों में अभिभावक फीस चुका सकते हैं।