जयपुर: राजस्थान में चल रहे उठापटक के बीच गहलोत सरकार ने भाजपा ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर को पद से बर्खास्त कर दिया है। इसको लेकर स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। चुनाव लडने के लिए 6 साल तक अयोग्य करार भी दिया है। 23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने के बाद सरकार को कोर्ट ने 2 दिन तक कार्रवाई नहीं करने का समय दिया था। सौम्या गुर्जर पर तत्कालिन निगम आयुक्त यज्ञमित्र देव के साथ मारपीट करने का आरोप था।
उल्लेखनीय है कि 4 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर यज्ञ मित्र सिंह देव के साथ अभद्रता और मारपीट से जुड़े मामले में महापौर सौम्या गुर्जर को 2 दिन की राहत दी थी। अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह न्याय की रिपोर्ट के आधार पर 2 दिन बाद सौम्या गुर्जर के खिलाफ कार्रवाई करने को स्वतंत्र है। जस्टिस अजय ओक और जस्टिस संजय किशन कौल की खंडपीठ ने यह आदेश सौम्या गुर्जर की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए थे। दो दिन बाद राज्य के स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर सौम्या गुर्जर की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए।
हाईकोर्ट जाने का विकल्प
इधर जयपुर मेयर सौम्या गुर्जर के पास अब केवल हाईकोर्ट जाने का विकल्प बचा है। विधि विशेषज्ञ अशोक सिंह की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किए है उसके तहत मेयर सौम्या गुर्जर न्यायिक जांच की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चैलेंज कर सकती है। उनके पास अब यही एक विकल्प है।
यह था मामला
ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव के साथ मारपीट व अभद्रता मामले में मेयर सौम्या गुर्जर व तीन पार्षदों अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा व पारस जैन को नगर पालिका अधिनियम सहित अन्य प्रावधानों के अनुसार, दुराचरण, कर्तव्यों के पालन में लापरवाही बरतने व अभद्र भाषा के आरोप में दोषी माना गया था. इसके बाद राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी।