जयपुर। विप्र फाउंडेशन ने देवउठनी ग्यारस 23 नवंबर को राजस्थान में विधानसभा चुनावों के मतदान को अव्यवहारिक बताते हुए चुनाव आयोग से मतदान तिथि पर पुर्नविचार का आग्रह किया है। विप्र फाउंडेशन के संस्थापक सुशील ओझा ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को इस बाबत एक पत्र भेज कर कहा है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु के शयन निंद्रा से जागृत होने का महान पर्व देव प्रबोधिनी एकादशी का महत्व सनातन धर्म में सबसे उत्सवी दिन माना जाता हैं। इस दिन से ही चार माह से बंद पड़े शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती हैं।
ओझा ने पत्र में चुनाव आयोग को जानकारी दी है कि देवउठनी एकादशी को अकेले राजस्थान में हजारों शादियां पहले से प्रस्तावित हैं जिनमें लाखों लोग शामिल होंगे। शादी का शुभ लग्न भी दिन में ही हैं ऐसे में चुनाव आयोग की अधिकतम मतदान के प्रयासों पर भी विपरित असर पड़ेगा। शादी विवाह में विवाह स्थल, वाहनों आदि की बड़ी डिमांड रहती हैं। चुनाव आयोग के कई मतदान केंद्र विवाह स्थलों पर बने हुए हैं उनकी बुकिंग रद्द होगी। चुनाव आयोग की ओर से वाहनों के अधिग्रहण से भी शादी विवाह वाले परिवारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने 23 नवंबर देवउठनी तिथि को मतदान के लिए अनुपयुक्त बताते हुए अन्य किसी तिथि को मतदान करवाने का आग्रह करते हुए राजस्थान के चुनाव कार्यक्रम को बदलने को चुनाव आयोग से आग्रह किया है। विप्र फाउंडेशन ने राजनीतिक दलों से भी मतदान तिथि परिवर्तन करवाने के लिए चुनाव आयोग से बात करने का अनुरोध किया है।