जयपुर। त्रिमूर्ति के ‘रंग चौबारा‘ में आज मंशी प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी पंच परमेश्वर में तत्कालीन समाज में व्याप्त बुराइयों, विसंगतियों को सामने लाने और सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने की दिशा में कलाकारों ने अपने अभिनय से एक बार फिर पात्रों को चरितार्थ किया।
त्रिमूर्ति के शांतनु भसीन ने बताया कि रंग चौबारा में देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों की कहानियों का मंचन किया जाएगा। जिससे आने वाली पीढ़ी को हमारे अमूल्य साहित्य की धरोहर की जानकारी प्राप्त हो सके।
पारंपरिक किस्सागोई शैली में इस कहानी को बहुत ही सहज ढंग से ईश्वर दत्त माथुर ने सुनाया। कहानी के बीच बीच में पात्रों को सजीव रूप में खड़ा कर उनका नाट्य रूप मंचित किया गया। कहानी प्रारंभ होने से पहले घर परिवार की आधुनिक समस्या मोबाइल पर प्रहार करते हुए घर के बच्चों को मोबाइल छोड़कर साहित्य पढ़ने की प्रेरणा देने से कहानी की शुरुआत की गई। बच्चों को समझाया गया कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही चौपाल परंपरा का मजबूत आधार रहा है और वही गांव की समस्याओं का निदान पंचो द्वारा किया जाता रहा है।
पंच परमेश्वर नाटक का निर्देषन गुरमिन्दर सिंह पुरी रोमी ने किया। पंच परमेश्वर में जुम्मन शेख की भूमिका में नीरज गोस्वामी, खाला की भूमिका में भगवंत कौर, संजू साहू की भूमिका में राजेंद्र शर्मा राजू, फल्गु चौधरी की भूमिका में मोइनुद्दीन खान पंचायत में राकेश माथुर, प्रशांत यादव और कहानी के प्रमुख सूत्रधार के रूप में ईश्वर दत्त माथुर ने अपनी सशक्त भूमिका निर्वाह की।
कहानी सुनने वाले बच्चों में निशांत यादव के अलावा टाबर संस्था के बच्चे भी थे। प्रारंभ में सूचना आयुक्त और वरिष्ठ पत्रकार रहे नारायण बारेठ ने मुंशी प्रेमचंद के साहित्य और उनकी आज के संदर्भ में प्रासंगिकता पर विस्तार से बताया कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार हेतु भारद्वाज आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष रहे राजीव अरोड़ा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।