नेट-थियेट पर क्लासिकल वेव की उडान ‘और आहिस्ता किजीये बातें धड़कने कोई सुन रहा होगा’

नेट-थियेट पर क्लासिकल वेव की उडान 'और आहिस्ता किजीये बातें धड़कने कोई सुन रहा होगा'

जयपुर। नेट-थियेट के कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज प्रदेष के युवा गायक सुमंत मुखर्जी ने अपनी सुरीली पुरकषिष आवाज में जब ताहिर फराज की ग़ज़ल काष कोई ऐसा मंजर होता मेरे कांधे पे तेरा सर होता सुना कर कार्यक्रम का आगाज किया। इनके साथ तबले पर गुलाम फरीद और हारमोनियम पर शेर खान ने असरदार संगत की।

नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि सुमंत ने जब हस्ती की लिखी नई ग़ज़ल प्यार का पहला ख़त लिखने में वक्त तो लगता, नये परिंदो को उडने में वक्त तो लगता है गाकर सुमधुर शाम को परवान चढाई। जफ़र गोरखपुरी की ग़ज़ल और आहिस्ता किजीये बातें धडकनें कोई सुन रहा होगा उसके बाद निदा फाज़ली के दोहे छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार, आंखें भर आकाष है बाहों भर संसार सुनाकर महौल रूमानियत भरा बना दिया। कार्यक्रम का संचालन ईश्वर दत्त माथुर ने किया। कैमरा संचालन जितेन्द्र शर्मा, प्रकाष मनोज स्वामी, मंच सज्जा घृति शर्मा, अंकित शर्मा नोनू और जीवितेष शर्मा का रहा।

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