नई दिल्ली। राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर महामंथन आज भी जारी रहा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। अब राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों के शीघ्र होने के आसार हैं।
लंबे समय बाद अशोक गहलोत की सोनिया गांधी के साथ ये मुलाकात हुई है। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गहलोत ने मीडिया से बातचीत में मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल पर कहा कि अभी थोड़ा सब्र रखिए। मंत्रिमंडल फेरबदल पर हाईकमान फैसला करेगा, मैं रिपोर्ट दे चुका हूं। मैंने राजस्थान के विषय पर सारी स्थिति सोनिया गांधी और कल हुई बैठक में रख दी है। अब आगे का निर्णय आलाकमान पर छोड़ा है, जो आलाकमान करेगा वह हम सब को मंजूर होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हाईकमान तय करेगा कि कब रिसफल करना है। हमने हाईकमान पर छोड़ दिया है। मैंने रिपोर्ट दे दी है। अजय माकन को बता दिया है। अजय माकन राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष से बात करेंगे, उसके आधार पर हाईकमान फैसला करेगा। आप थोड़ा सब्र रखो, मीडिया मंत्रिमंडल की तारीख घोषित कर देता है जो मुझे ही पता नहीं होती। गहलोत ने बैठकों पर कहा- हम मिलते रहते हैं। केसी वेणुगोपाल हमारे संगठन महासचिव है, अजय माकन प्रभारी हैं। प्रियंका गांधी ने भूमिका अदा की थी कि हम सब एकजुट रहें। पहले भी चर्चा होती रही है, थोड़ा सब्र रखिए।
राहुल गांधी के आवास पर कल रात को प्रियंका गांधी की मौजूदगी में राजस्थान के मुद्दों को लेकर लंबी बैठक हुई थी। प्रियंका गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगेापाल, प्रभारी अजय माकन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों पर चर्चा की थी। इस बैठक में सभी को संतुष्ट करने के फॉर्मूले पर भी चर्चा की गई।
जिन मंत्रियों जैसे रघु शर्मा को गुजरात व हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी बना संगठनात्मक स्तर पर जिम्मेदारियां सौंपी गई है उनका क्या करना है इस पर सोनियां गांधी के स्तर पर ही फैसला होना है। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के अनुसार शिक्षा मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा को भी एक पद छोडऩा पड़ सकता है। इसमें हरीश चौधरी तो साफ कर चुके है कि वे मंत्री बने रहने के इच्छुक नहीं है,क्योंकि पंजाब में उन्हें समय देना हैं,जबकि रघु शर्मा का तर्क है कि बीजेपी में केंद्रीय मंत्रियों को राज्यों का प्रभारी बना रखा है, इसलिए इन्हें भी रखा जा सकता है।
मंत्रिमण्डल विस्तार व फेरबदल में सबसे बड़ी अड़चन पायलट खेमे को लेकर है। पायलट कैंप ने चार से छह मंत्रियों की मांग कर रखी हैं। दूसरा सरकार का साथ देने वाले निर्दलीयों में से किसी मंत्री बनाया जाए ये मुख्यमंत्री को तय करना हैं। बसपा से कांग्रेस में आने वाले एक-दो विधायकों को भी मंत्री बनाए जाने को लेकर चर्चा है हालांकि पायलट निर्दलीय व बसपा से आए लोगों को मंत्री बनाने के कतई पक्ष में नहीं हैं। इसका क्या सर्वमान्य हल ििनकलता है उस पर सबकी नजर टिकी हुई हैं। माना जा रहा है कि राहुल गांधी की स्वदेश वापसी के बाद ही मंत्रिमण्डल का शपथ ग्रहण होगा। संभवत: उनसे आखिरी दौर की चर्चा होनी है तभी तारीख को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं।