नेट-थियेट पर खेला गया तमाशा गोपीचंद भर्तृहरी

तमाशा

जयपुर। नेट-थियेट पर आज परंपरा नाट्य समिति, जयपुर की ओर से जयपुर के प्रसिद्ध लोक ख्याल तमाशा में गोपीचंद भर्तृहरि खेला गया। त्याग और बलिदान पर आधारित तमाशा की इस प्रसिद्ध ख्याल की रचना पण्डित बंशीधर भट्ट द्वारा की गई। लोकनाट्य के इस आख्यान को कई शताब्दियों से खेला जाता रहा है। जिसमें गोपीचंद की मॉ को देवी स्वप्न में दर्शन देती हे और बताती है कि अपने पुत्र को अमर बनाना है तो जोग धारण करवाओ बस मॉ के इस स्वप्न को सच करने की सुंदर कहानी है गोपीचंद भर्तृहरि। भट्ट परिवार द्वारा बडे अखाडे ;अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर आमेर व छोटा अखाड़ा ब्रह्मपुरी में होली के अवसर पर प्रस्तुत किये जाने की परंपरा आज भी है।

इस पंरपरा में बडा नाम तमाशा गुरू गोपीजी भट्ट का आता है जिन्हौंने कई सालों तक बडे अखाडे, आमेर में इसका प्रदर्शन किया। आज नेट-थियेट पर तमाशा साधक दिलीप भट्ट के निर्देशन में प्रसिद्ध आख्यान गोपीचंद भर्तृहरि के अंश खेले गये। नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि दिलीप भट्ट ने सातवी पीढी के साथ इस आख्यान को प्रस्तुत किया। शास्त्रीय रागों पर आधारित इस ऐतिहासिक आख्यान का आरंभ श्री गणनाथ कृपाला बंधो जो राग पहाडी भोपाली, ज्ञानी राजा गोपीचंद रानी पाटम दे राग असावरी, इसके अलावा राग मालकौस, राग केदार, आदि की सहायता से अपनी पारंपरिक वेशभूषा में एकल प्रस्तुति दी।

सारंगी पर फिरदौस खान, हारमोनियम पर जगदीश, तबले पर सचिन भट्ट और कौरस में हर्ष भट्ट ने अपनी सधी हुई संगत से प्रस्तुति को रोचक बना दिया। संगीत विष्णु कुमार जांगिड, प्रकाश मनोज स्वामी, अंकित जांगिड व दृष्य सज्जा मुकेश कुमार सैनी, जितेन्द्र शर्मा, अंकित शर्मा नोनू, अर्जुन देव, सौरभ कुमावत, अजय शर्मा, जीवितेश शर्मा, धृति शर्मा, तुषार शर्मा रहे।

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