राज्य का वित्तीय ढांचा चरमराया, अगला बजट कृषि को होगा समर्पित

CMRETAC Meeting 1

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने माना कि कोविड की विषम परिस्थितियों के कारण राजस्व अर्जन में गिरावट के साथ ही केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में लगातार राज्यांश बढऩे, केंद्र द्वारा जीएसटी क्षतिपूर्ति का पूर्ण भुगतान नहीं होने तथा 15वें वित्त आयोग में अनुमान से कम राशि का हस्तांतरण सहित कई कारणों से प्रदेश को जटिल राजकोषीय स्थिति से गुजरना पड़ रहा है।

गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री आर्थिक सुधार सलाहकार परिषद की दूसरी बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जिसने राजस्व में बड़ी गिरावट के बावजूद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अपने खर्च में वृद्धि की है। साथ ही बजट घोषणाओं को पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा करने के प्रयास किए हैं। हमारा वर्तमान बजट स्वास्थ्य को समर्पित रहा और प्रदेश में चिकित्सा का आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ। इसी प्रकार अगला बजट कृषि क्षेत्र को समर्पित होगा।

राज्यों को मिलने वाला हिस्सा कम मिलने की शिकायत

मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विभाज्य पूल से राजस्थान को 50 हजार करोड़ रूपए देने का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तविक हस्तांतरण करीब 32 हजार करोड़ रूपए ही रहा। इसी प्रकार जीएसटी मुआवजे का भी केंद्र द्वारा पूरा भुगतान राज्यों को नहीं मिल रहा है। जल सहित विभिन्न परियोजनाओं में पहले केंद्र और राज्य का अनुपात 90:10 होता था, जो अब 50:50 पर आ गया है। पेट्रोल एवं डीजल पर करों के डिविजिबल पूल में से राज्यों को मिलने वाले हिस्से को भी लगातार कम किया जा रहा है। इन मुद्दों का तत्काल समाधान आवश्यक है अन्यथा राज्यों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां काफी जटिल हैं। ऐसे में यहां सर्विस डिलीवरी की लागत अन्य राज्यों के मुकाबले काफी अधिक आती है। इन हालात में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ने इस दिशा में अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है।

सरकारी सम्पत्तियों पर व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने की सलाह

नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में नजूल संपत्तियों, खाली जमीन एवं विभिन्न सरकारी संपत्तियों का सदुपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इनसे व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने के साथ ही राजस्व भी बढ़ेगा।

ये रहे बैठक में मौजूद

ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री डॉ. बीडी कल्ला,शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा मुख्य सचिव निरंजन आर्य, परिषद के सदस्य एवं चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार सरीन परिषद के सदस्य एवं कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, कृषि एवं सहकारिता मामलों के विशेषज्ञ विजय कुमार, केंद्र सरकार में पूर्व स्वास्थ्य सचिव रहे केशव देसीराजू, कुमार मंगलम विश्वविद्यालय के चांसलर प्रो. दिनेश सिंह, बैंकर नैना लाल किद्वई, इन्फ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ अमित कपूर, प्रदीप मेहता मुख्यमंत्री के सलाहकार गोविंद शर्मा, आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक प्रो. इरोल डिसूजा, जेएनयू की प्रोफेसर कविता सिंह, राज्यसभा सदस्य राजीव गौड़ा तथा दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह आदि सदस्यों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए। परिषद के उपाध्यक्ष अरविंद मायाराम ने स्वागत के साथ परिषद द्वारा राजस्थान के समग्र विकास के लिए तय किए गए बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

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