फिर गहरा सकता है बिजली संकट, कोयले की कमी से चरमराई विधुत व्यवस्था

Power crisis may deepen again, power system crippled due to lack of coal | फिर गहरा सकता है बिजली संकट, कोयले की कमी से चरमराई विधुत व्यवस्था

जयपुर: राजस्थान में कोयले की कमी से बिजली संकट के हालात फिर से पैदा होने लगे हैं। डिमांड के मुकाबले बिजली की औसत उपलब्धता 2429 मेगावाट कम रही है। रबी के फसली सीजन में बुआई के बाद अब खेतों के ट्यूबवेल पर कृषि बिजली कनेक्शन से सिंचाई के लिए यह डिमांड करीब 1 हजार मेगावाट तक और बढ़ने की सम्भावना है।

बिजली विभाग के लिए चिन्ता का विषय बन गया है कि लाखों किसानों को दिन के समय कैसे बिजली दी जाए। फिलहाल 2000 मेगावाट तक बिजली एक्सचेंज से खरीदकर काम चलाना पड़ रहा है। प्रदेश में बिजली प्रोडक्शन में कमी का बड़ा कारण कोयले की पूरी रैक्स नहीं मिल पाना है। प्रदेश में रोजाना 21 रैक तक कोयला आने लगा था, लेकिन वह भी 1 रैक घटकर अब 20 ही मिल पा रहा है। 1 रैक में 4000 टन कोयला होता है।

सर्दियों का मौसम आने के बावजूद राजस्थान में बिजली संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। इंडस्ट्रियल, कॉमर्शियल कनेक्शन और कृषि बिजली कनेक्शन का लोड लगातार बढ़ रहा है। धूप कम निकलने के कारण दिन में भी लाइटें जलानी पड़ रही हैं। प्रदेश में बिजली की औसत उपलब्धता 11 हजार 565 मेगावाट है। जबकि हाईएस्ट डिमांड 13 हजार 994 मेगावाट पहुंच गई है। 2429 मेगावाट बिजली कम पड़ गई है।

फिर गहरा सकता है बिजली संकट, कोयले की कमी से चरमराई विधुत व्यवस्था

7 बिजली यूनिट्स हैं बंद

राजस्थान के सभी पावर प्लांट्स की बंद पड़ी सारी यूनिट्स को फिर से चलाना है, प्रदेश में कुल 1 लाख 8 हजार टन के करीब कोयला रोजाना चाहिए। यानी 27 रैक कोयला प्रदेश को रोजाना रेग्युलरली मिले, तो सभी यूनिट्स शुरू हो पाएंगी। फिलहाल सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 250-250 मेगावाट की 5 यूनिट्स बन्द हैं। इन्हें चलाने के लिए 5 रैक कोयला रोज चाहिए। छबड़ा पावर प्लांट में भी 2 यूनिट बन्द हैं। प्लांट में पिछले दिनों हुए हादसे के बाद से ये यूनिट्स बन्द पड़ी हैं। इनकी मरम्मत होने पर 250-250 मेगावाट की इन यूनिट्स को फिर चालू करने के लिए 2 रैक कोयले के रोज चाहिए।

 

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