जयपुर। जाने-माने शिक्षाविद् तथा राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आर. गोविंदा ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए प्राथमिक शिक्षा के प्रति नए सिरे से प्रतिबद्धता का आह्वान किया है। प्रो. गोविंदा बुधवार को झालाना डूंगरी स्थित प्रौढ़ शिक्षा समिति कार्यालय में 9वें अनिल बोर्दिया स्मृति व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् तथा कुशल प्रशासक स्व. अनिल बोर्दिया द्वारा किशोरों की शिक्षा के लिए स्थापित संगठन ‘दूसरा दशक’, समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए समुदाय आधारित शैक्षिक कार्यक्रम तैयार करने वाले संगठन ‘संधान’ तथा पिछले 50 वर्षों से साक्षरता की अलख जगाने वाले ‘राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति’ के साझा संयोजन में हुए इस कार्यक्रम में प्रो. गोविंदा ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में असमानता आज सबसे बड़ी चुनौती है। हम आज भी मैकले की शिक्षा प्रणाली पर ही चल रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बावजूद जबरदस्त प्रगति के अब भी सामाजिक भागीदारी का अंतर बना हुआ है।
‘सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा के लिए हमारा संघर्ष: क्या सबकी शिक्षा एक मृगतृष्णा है’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्व. बोर्दिया ने शिक्षा की एक नई दृष्टि देते हुए हम सब को जबरदस्त तरीके से प्रभावित किया। संधान के अध्यक्ष राजेन्द्र भाणावत ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी होते हुए भी बोर्दिया ने शिक्षा के क्षेत्र में भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परचम फहराया। दूसरा दशक के अध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने विषय का प्रवर्तन करते हुए प्रो. गोविंदा का परिचय दिया और उनके अंतर्राष्ट्रीय योगदान के चर्चा की। व्याख्यान के बाद के प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन किया।
इस मौके पर राजस्थान ; प्रौढ़ शिक्षण समिति की संयुक्त सचिव नीलम अग्रवाल और दूसरा दशक के परियोजना निदेशक मुरारीलाल थानवी ने भी अपने विचार रखे। व्याखान माला का समापन दूसरा दशक के गीत के साझा गायन के साथ हुआ।