महाराणा प्रताप पहली बार अपने प्रिय हाथी रामप्रसाद पर सवार होकर निकलेंगे दुबई

महाराणा प्रताप पहली बार अपने प्रिय हाथी रामप्रसाद पर सवार होकर निकलेंगे दुबई

जयपुर: राजस्थान के वीर शिरोमणि हल्दीघाटी युद्ध के विजेता महाराणा प्रताप की प्रतिमा अब विदेशी धरती पर उनके यश व संघर्ष की गाथा कहेगी। जयपुर स्थित भारती शिल्पकला स्टूडियो में मूर्तिकार महावीर भारती व निर्मला कुल्हरी द्वारा महाराणा प्रताप अब अपने प्रिय हाथी रामप्रसाद पर सवार प्रतिमा में बनाये गये। जो इसी माह में दुबई में स्थापित किये जायेंगे अभी तक महाराणा प्रताप अपने स्वामिभक्त चेतक पर सवार प्रतिमाओ में ही देखे गये है। विदेशी धरती पर उनकी ये पहली प्रतिमा स्थापित होगी।

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महाराणा प्रताप प्रतिमा की विशेषता
मूर्तिकार महावीर भारती ने बताया कि हाथी पर सवार प्रताप की प्रतिमा 14 फ़ीट ऊंची व 2 टन से ज्यादा वजनी है। जिनमे महाराणा प्रताप राजसी पौशाक व वैभव के साथ विराजमान है। एक हाथ मे तलवार व दूसरे हाथ मे स्वर्णमुद्राओं व धन से भरी पोटली है। पीछे सेवक उनकी सेवा के लिए बैठा है। महावत एक हाथ मे घण्टी व दूसरे हाथ मे अंकुश लिए हुए है। हाथी व पालकी को डिजायनर निर्मला कुल्हरी द्वारा सुंदर सजाया गया है जिससे प्रतिमा देखने योग्य बनी है। इस प्रतिमा को बहुत अच्छे तरीके से लोहे व लकड़ी के बनाये बक्से में सुरक्षात्मक तरीके से पैक करके बड़े ट्रक द्वारा गुजरात के मुंद्रा पोर्ट तक पहुंचाया जायेगा व आगे पानी के जहाज से कंटेनर में रख कर 4 सप्ताह की यात्रा द्वारा दुबई के शारजहां स्थित चोखी ढाणी में स्थापित किया जायेगा।

महारानी पद्मिनी की 8 फ़ीट की प्रतिमा में उनके रूप लावण्य के साथ अद्भुत श्रंगार किये हुये बनाया गया है। महाराजा गंगासिंह की प्रतिमा भी 8 फिट ऊंची है जिसमे उनको राजसी पौशाक में आकर्षक तरीके से दिखाया है। चेतक पर सवार प्रतिमा 12.6 फीट ऊंची है, ये तीनो प्रतिमाए दुबई पहुंच चुकी है। महाराणा प्रताप की प्रतिमा पहले अयोध्या, द्वारिका, आंणद, झालावाड़, प्रतापगढ़, सरदारशहर, नरसिंहपुर, गाजियाबाद, रतलाम आदि स्थानों पर स्थापित की जा चुकी है।

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