आयरन ओरे, लेड जिंक और कॉपर की क्षेत्र सीमा में बढ़ोतरी करें केन्द्र, लाइमस्टोन को माइनर से मेजर में परिवर्तन से बढ़ेंगे रोजगार व राजस्व के अवसर-ACS माइंस डॉ. अग्रवाल

जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने आयरन ओरे, लेड व जिंक और कॉपर खनिज के प्रोस्पेक्टिव लाइसेंस के लिए अधिकतम क्षेत्र सीमा 25-25 वर्ग किमी से बढ़ाकर 100-100 वर्ग किमी करने और आयरन ओरे के माइनिंग लाइसेंस की अधिकतम क्षेत्र सीमा 10 वर्ग किमी से बढ़ाकर 50 और लेड व जिंक के माइनिंग लाइसेंस की अधिकतम क्षेत्र सीमा 10 वर्ग किमी से बढ़ाकर 100 वर्ग किमी करने के केन्द्र सरकार स्तर पर लंबित प्रकरण का शीघ्र निस्तारण करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इससे इन खनिजों के ऑक्शन की राह प्रशस्त होगी और स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ही सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।

एसीएस डॉ. अग्रवाल ने यह आग्रह सोमवार को केन्द्रीय खान सचिव आलोक टंडन से वीसी के माध्यम से केन्द्र सरकार स्तर पर लंबित प्रकरणोें के शीघ्र निस्तारण के लिए आयोजित वर्चुअल बैठक में की। उन्होंने लाइमस्टोन के खनन पट्टों को अप्रधान खनिज से प्रधान खनिज मेें परिवर्तित करने के राज्य सरकार के प्रकरण पर भी शीघ्र निर्णय करने को कहा।

उन्होंने कहा कि लाइमस्टोन के खनन पट्टों को माइनर से मेजर में परिवर्तित करने से राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ ही राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने ध्यान दिलाया कि राजस्थान पोटाश के भण्डार वाला एकमात्र प्रदेश है ऐसे में पोटाश की दरों का भी प्राथमिकता से निर्धारिण किया जाए ताकि पोटाश खनन प्लॉटों के ऑक्शन की कार्यवाही शुरु की जा सके।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में खनन प्लॉटों के चिंहीकरण और ऑक्शन कार्य में तेजी लाई गई है। उन्होंने बताया कि नए खाज व खनन कार्य के लिए आवश्यकतानुसार आउट सोर्सिंग भी की जाएगी ताकि खनन खोज व ऑक्शन कार्य को और अधिक गति दी जा सके।

केन्द्रीय खान सचिव आलोक टंडन ने बताया कि लाइम स्टोन के अप्रधान खनिज से प्रधान खनिज में परिवर्तित करने का प्रकरण हिमाचाल प्रदेश से रिपोर्ट आने के लिए पेडिंग है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश को सात दिवस में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा ताकि इस प्रकरण का निस्तारण किया जा सके। टंडन ने राजस्थान के सभी विचाराधीन प्रकरणों पर शीघ्र निस्तारण का विश्वास दिलाया। उन्होंने राजस्थान में खनन प्लॉटों की ऑक्शन प्रगति की सराहना करते हुए कि खोज और खनन कार्य को और अधिक गति दी जाए।

बैठक में प्रधान खनिजोें की रायल्टी दरों में संशोधन के विचाराधीन प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय करने, राजस्थान में खनन ब्लॉकों के चिन्हीकरण और पीएल व एमएल प्रगति आदि पर भी विस्तार से चर्चा हुई। केन्द्रीय खान सचिव की बैठक में निदेशक माइंस केबी पण्ड्या व उपसचिव नीतू बारुपाल ने भी हिस्सा लिया। खान विभाग के अतिरिक्त निदेशक धर्मेन्द्र गौड़ और अनिल वर्मा ने नई दिल्ली में सभी प्रकरणों पर विस्तार से जानकारी दी। वर्चुअल बैठक में ओएसडी महावीर प्रसाद मीणा व सुनील कुमार वर्मा ने भी हिस्सा लिया।

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