जयपुर। आमेर रोड स्थिति आई.सी.ए. गैलरी की स्थापना की वर्षगांठ पर शुक्रवार को यहां प्रदेश और देश के 35 कलाकारों की कृतियों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। एक महीने चलने वाली ‘ग्लिम्पिसिस ऑफ आर्ट नामक इस प्रदर्शनी में चित्रकला और मूर्तिकलाओं की विभिन्न शैलियों का फ्यूजन खास है। यहां चित्रकला और मूर्तिकला की यथार्थशैली की कृतियों में जहां रंगों और आकृतियों की खूबसूरती देखने योग्य है वहीं अमूर्तशैली में कलाकारों का रूपाकारों को गढ़ने की पिछे उनकी सोच का दर्शन देखने वाले को अलग ही संसार में ले जाता है।
हर कलाकृति के पीछे है कलाकार की मौलिक सोच
गैलरी के निदेशक अभिनव बंसल ने बताया कि यहां प्रदर्शित कृतियां चाहे अमूर्त हों अथवा मूर्त शैली में हर कला कृति के पीछे कलाकार की मौलिक सोच का प्रभाव खास है। फिर चाहे वो कोई मंदिर की आकृति हो या भगवान शिव का चित्र सभी को बनाने में कलाकारों की कलावादी सोच हर कृति को दूसरी कृति से अलग कर देती है।
आनदं पंचाल, पुणे के श्रीकांत कदम, हरि कृष्ण , सोमेन साहा और मीनाक्षी बनर्जी की कृतियों में आध्यात्मिक अनुभूति केंद्र में है। आनंद पंचाल ने भगवान शिव को, मीनाक्षी बनर्जी ने मधुबनी शैली में देवी देवताओं की आकृतियों, राम ओम ओमकार ने बंशी बजाते श्रीकृष्ण और सोमेन साहा ने बनारस घाट के सौंदर्य के साथ नदी किनारे स्थित मंदिरों की आकृतियों को अलग ही अंदाज में चित्रित कर चित्रकला की यथार्थ शैली को भी अलग रूप दिया है।
हवा में छलांग लगता चेतक घोड़ा
इसी तरह उदयपुर के अपला राजू सुरकला और जयपुर के हंसराज चित्रभूमि का क्रिएशन भी लीक से हटकर है। अपला राजू ने लोहे के स्क्रैप से ‘आउल’ और बिच्छू आदि आकृतियों को बनाया है वहीं हंसराज चित्रभूमि के इंस्टालेशन में हवा में छलांग लगाता महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मूर्तिशिल्प खास है। हंसराज ने इस स्कल्पचर को महल की पृष्ठभूमि में इंस्टालेशन के रूप में प्रदर्शित किया है। हंसराज का ये इंस्टालेशन वहां आने वाले लोगों को सैल्फी प्वाइंट बनकर आकर्षित कर रहा है।
इससे पूर्व राजस्थान प्रोढ़ शिक्षा समिति के अध्यक्ष रमेश थानवी, आर्ट कलक्टर सुधीर माथुर, आईटीसी के जनरल मैनेजर रिषि मट्टू और आई.ए.एस अधिकारी पी.सी किशन ने दीप प्रज्जवलित कर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।