जयपुर। शिक्षकों के सम्मान समारोह में शिक्षकों के तबादलों में पैसों के लेनदेन को लेकर पूरी गहलोत सरकार की हुई किरकिरी के बाद आज सीएम अशोक गहलोत ने जो यूटर्न लेते हुए दौसा में मीडिया से कहा कि करप्शन की बात मैंने शुरू की। जो पकड़े जा रहे हैं, वे खाली शिक्षा विभाग के ही नहीं हैं। खाली टीचर की बात नहीं थी, वो बात थी कि हर डिपार्टमेंट में करप्शन होता ही है। सरकार की मंशा है कि उसे रोका जाए, इसलिए खाली शिक्षा विभाग की ही बात नहीं है।
मुख्यमंत्री ने अपनी सफाई में कहा कि मैंने कहा था कि टीचर भी तबादलों के लिए उतना ही तकलीफ पाते हैं। पैसे देकर ट्रांसफर पोस्टिंग की नौबत क्यों आए, जब ट्रांसफर की पॉलिसी ही बन जाए। इससे सबको पता रहेगा कि उसका नंबर कब आएगा। इससे टीचर तबादलों के लिए न पैसा देगा, न करप्शन होगा। अभी तो जो पकड़े जा रहे हैं, वे दूसरे विभागों के हैं। मेरे पास गृह विभाग है, उसमें कई लोग पकड़े गए हैं । शिक्षा विभाग के लिए यह कह दिया तो उसे गलत तरीके से समझा गया। एसीबी इतना अच्छा काम कर रही है। हिंदुस्तान में सबसे अच्छा काम एसीबी कर रही है। बड़े-बड़े अफसर पकड़े गए हैं। कलेक्टर, एसपी पकडे गए हैं, सस्पेंड तक हुए हैं। ऐसा राजस्थान में ही मिलेगा।
्रपहले सीएम बोले थे- तबादले के लिए शिक्षक को पैसे खिलाने पड़ते हैं
सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार को जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में शिक्षक सम्मान समारोह में कहा था- हम सुनते हैं कि तबादले के लिए कई बार पैसे खिलाने पड़ते हैं। पता नहीं, आप बताइए सही है या नहीं, मुझे नहीं मालूम। गहलोत ने समारोह में मौजूद शिक्षकों से पूछा था- क्या यह बात सही है? पैसे देने पड़ते हैं क्या? फिर आवाज आई- हां, देने पड़ते हैं। मुख्यमंत्री बोले थे- कमाल है।
उल्टा गया मैसेज उससे उभरने की कोशिश
शिक्षा विभाग में पैसे लेकर ट्रांसफर होने के गहलोत के बयान के बाद विवाद हो गया था। बीजेपी ने शिक्षा विभाग को भ्रष्ट बताते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से इस्तीफा व बर्खास्तगी की उठा रखी हैं। मुख्यमंत्री का यह बयान दिल्ली तक कांग्रेस आलाकमान को संकट में डाले हुए हैं। इस बयान को प्रदेशाध्यक्ष और शिक्षा मंत्री को डाउन करने से जोड़कर भी देखा गया। गहलोत की इस ताजा सफाई को डैमेज कंट्रोल की कोशिश माना जा रहा है,क्योंकि पिछले कई दिनों से सीएम डोटासरा को भी दौरे में अपने साथ लेकर जा रहे हैं।