जयपुर। मिठाई खाने के शौकीन लोगों और डायबिटीज के पेशेंट के लिए एक अच्छी खबर है। अब जयपुर में ऊंटनी के दूध से विभिन्न तरह की मिठाइयां बनने के साथ कुल्फी, आइसक्रीम और चॉकलेट भी बनाई जाएगी। ऊंटनी के दूध से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) बीकानेर ने जयपुर के पास बिचून के भैराणा गांव स्थित रुद्र शिवम डेयरी अनुसंधान केन्द्र को अधिकृत किया है। दो दिन तक विशेष ट्रेनिंग के बाद अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस के मौके पर 22 जून को विश्व विख्यात उष्ट्र विशेषज्ञ प्रो. टीके गहलोत, वेटरनरी यूनिवर्सिटी के डीन और डायरेक्टर रिसर्च प्रोफेसर आर. के धुड़िया और राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. ए. साहू ने रुद्र शिवम डेयरी के डायरेक्टर सुरेन्द्र अवाना को सर्टिफिकेट प्रदान किया। सुरेन्द्र अवाना एक प्रगतिशील किसान हैं जिन्हें खेती में नवाचार के लिए भारत सरकार नौ बार पुरस्कृत कर चुकी है।
केमिकल युक्त आइसक्रीम से मिलेगा छुटकारा
ऊंटनी के दूध से विभिन्न तरह की मिठाइयां बनने से लोगों को शुद्ध और ऑर्गेनिक मिठाइयां खाने को मिलेंगी। खासतौर पर डायबिटीज के मरीज जो मिठाई नहीं खा सकते थे। अब ऊंटनी के दूध से बनी मिठाइयां वे भी खा सकेंगे। बच्चों के लिए कुल्फी, आइसक्रीम और चॉकलेट भी अब ऊंटनी के दूध से ही बनाई जाएगी। इसके लिए भैराणा गांव में विशेष यूनिट स्थापित की जा रही है। ऊंटनी के दूध से बनी आइसक्रीम, कुल्फी और चॉकलेट शुरुआत में जयपुर शहर में सप्लाई की जाएगी। ये प्रोडक्ट बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहद पौष्टिक साबित होंगे।
ऊंट पालकों को मिलेगा विशेष फायदा
ऊंटनी के दूध से विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने की अनुमति मिलने से जयपुर के आसपास रहने वाले ऊंट पालकों में खुशी की लहर है। अजमेर रोड़ स्थित बिचून के पास नौ परिवार ऐसे हैं जिनके पास ऊंटों के बड़े टोले (समूह) हैं। उगरियावास गांव में 5, रामसागर में 2 और महेशवास गांव में 2 पशुपालकों के पास में ऊंट के टोले (समूह) हैं। इन पशुपालकों के पास प्रतिदिन करीब 200 लीटर से ज्यादा ऊंटनी का दूध एकत्रित होता है। अभी तक ऊंटनी के दूध की बिक्री नहीं हो पाती थी लेकिन अब आइसक्रीम, कुल्फी और चॉकलेट बनाने के लिए पर्याप्त दूध की जरूरत पड़ेगी। ऊंट पालक कानाराम रेबारी का कहना है कि अब उन्हें दूध के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है।
केमिकल युक्त आइसक्रीम है स्वास्थ्य के लिए घातक
आजकल बाजारों में कई तरह की आइसक्रीम बनती है जिनमें विषाख्त केमिकल का उपयोग किया जाता है। इसी महीने 9 जून को अलवर जिले में केमिकल युक्त आइसक्रीम खाने से 60 बीमार हो गए थे जिन्हें अस्पताल पहुंचाना पड़ा। कुछ गंभीर घायलों को जयपुर रैफर करना पड़ा था। 12 मई को नागौर जिले के मेड़ता रोड़ स्थित बामनवास ग्राम पंचायत की नायक बस्ती में भी केमिकल युक्त आइसक्रीम खाने से तीन बच्चों को उल्टी दस्त हुई। अस्पताल पहुंचाने के बाद 13 वर्षीय सरिता, 7 वर्षीय रूपाराम और 4 वर्षीय लक्ष्मी की मौत हो गई थी। इसके बाद सीएमएचओ की टीमों ने कई आइसक्रीम फैक्ट्रियों पर दबिश देकर केमिकल से भरे ड्रम जब्त किए थे।