बीकानेर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के प्राइवेट स्कूल 100 फीसदी फीस तो ले सकते हैं, लेकिन उन्हें फीस रेगुलेशन एक्ट का पालन करना होगा। इस एक्ट का पालन नहीं करने वाले स्कूल पूरी फीस नहीं ले पाएंगे। इस मामले में शिक्षा विभाग हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तो पहुंच गया है। विभाग का प्रयास रहेगा कि फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत ही प्राइवेट स्कूल की फीस पर शिकंजा कसा जा सके।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इसी एक्ट के चलते शिक्षा विभाग के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें 70 फीसदी फीस लेने की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि निजी स्कूल को नियंत्रित करने के लिए एक एक्ट पहले से बना हुआ है, तो उसी का पालन कराना है। न कि उससे अलग आदेश जारी हों। ऐसे में अब शिक्षा विभाग राजस्थान के प्राइवेट स्कूल की फीस रेगुलेशन कमेटी को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा।
फीस रेगुलेशन कमेटी में क्या है
एक्ट के तहत हर स्कूल को फीस रेगुलेशन कमेटी का गठन करना है। इस कमेटी में स्कूल संचालकों के अलावा दो पैरेंट्स का होना भी जरूरी है। पैरेंट्स का चयन स्कूल संचालक अपने स्तर पर नहीं बल्कि लॉटरी के आधार पर करेंगे। नए सत्र में सुनिश्चित किया जायेगा कि पैरेंट्स की भागीदारी भी ट्रांसपरेंट तरीके से हो।
एक्ट का पालन हुआ तो फीस लें
माध्यमिक शिक्षा निदेशक स्वामी का कहना है कि वो ही स्कूल फीस ले सकेंगे, जिन्होंने फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत फीस निर्धारण करवाया है। अगर किसी स्कूल ने इस एक्ट का पालन नहीं किया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। कमेटी की सिफारिश के बगैर किसी स्कूल ने अगर फीस बढ़ाई है, तो उस पर भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
फीस ले सकते हैं, लेकिन टीसी नहीं काट सकते
शिक्षा निदेशक स्वामी ने बताया कि स्कूल संचालक हर साल 10 फीसदी फीस बढ़ा सकता है, लेकिन फीस रेगुलेशन एक्ट का पालन होना चाहिए। अगर इसका पालन नहीं हुआ तो हम फीस वसूली रोक सकते हैं। यह भी तय है कि किसी भी स्टूडेंट की टीसी नहीं काटी जा सकती। एक साथ फीस नहीं ली जा सकती है। फीस किस्तों में लेनी होगी। प्राइवेट स्कूल को वैसे भी महामारी के इस दौर में संवेदनशील होकर काम करना चाहिए।