जयपुर। हाईकोर्ट ने बुधवार को ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन के आवंटन में राजस्थान के साथ हुए भेदभाव के मामले में राज्य और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। हाईकोर्ट ने यह नोटिस अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी की तरफ से दायर याचिका पर दिया है।
अधिवक्ता भंडारी ने कोर्ट में बहस के दौरान बताया कि केन्द्र सरकार ने राजस्थान सरकार के साथ महामारी के इस दौर में ऑक्सीजन आवंटन और जीवन रक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर के आवंटन में भेदभाव किया। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने गुजरात को 1,63,500 इंजेक्शन का कोटा आवंटन किया है। जबकि वहां एक्टिव मरीजों की संख्या 84,126 हैं। इसके विपरित राजस्थान को 26,500 इंजेक्शन दिए हैं, जबकि यहां एक्टिव मरीज 96 हजार से ज्यादा हैं।
गुजरात में राजस्थान की तुलना में काम मरीज
इसी तरह ऑक्सीजन के मामले में राजस्थान में मौजूदा समय में 250 मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता है। जबकि केंद्र सरकार ने राजस्थान को केवल 205 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का ही आवंटन कर रही है। वहीं गुजरात को 1,661 मीट्रिक टन आवंटित कर रही है। जबकि वहां एक्टिव मरीजों की संख्या राजस्थान की तुलना में कम है।
30 अप्रैल को सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति व न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद केंद्र व राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किए। साथ ही अधिवक्ता भंडारी को आदेश दिया कि याचिका की नकल केन्द्र सरकार के अधिवक्ता व राज्य सरकार के महाधिवक्ता को आज ही उपलब्ध कराएं, ताकि याचिका पर दोबारा 30 अप्रैल को सुनवाई हो सके।