जयपुर। राजस्थान नर्सेज संयुक्त संघर्ष समिति की प्रांतीय महासभा सवाई मानसिंह अस्पताल के सभागार में सोमवार को आयोजित की गई। जिसमे प्रदेश भर के 242 ब्लॉक एवम 33 जिलों से आए नर्सेज नेताओं ने राज्य सरकार की नर्सेज के प्रति उपेक्षापूर्ण नीति से नाराज होकर 18 जुलाई से जयपुर समेत प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर अनिश्चित कालीन धरने की शुरुवात करने का निर्णय लेते हुए 23 अगस्त को राजधानी जयपुर में चालीस हजार नर्सेज की रैली निकालेंगे।
संघर्ष समिति के प्रांतीय संयोजक प्यारेलाल चौधरी, राजेंद्र राना,नरेंद्र सिंह शेखावत,भूदेव धाकड, पुरुषोत्तम कुम्भज, पवन मीणा, प्रीति रामदेव ने सयुक्त बयान जारी कर बताया कि 18 मई से नर्सेज कर्मी शांतिपूर्ण तरीके से जयपुर जिले में सरकार का ध्यानाकर्षण आंदोलन द्वारा अपनी 11 सूत्रीय मांगो को रख रहे है परंतु प्रशासनिक स्तर पर कोई निर्णायक कार्यवाही नही होने से नर्सेज को राज्य भर में संयुक्त संघर्ष समितियो का गठन कर आंदोलन के लिए विवश होना पड़ रहा है।
संघर्ष समिति के महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि राज्य में नर्सेज को विहार उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में ही मूल वेतन 7100 से 22700 प्रतिमाह कम मिल रहा है, वहीं हॉल ही बजट घोषणा 2023 में घोषित नए एसीपी नियमो से राज्य के अन्य समकक्ष संवर्गो से भी नर्सेज को 2 से 3 पे स्टेप कम वेतन जैसी उत्पन्न हुई विसंगति ,तथा मेडिकल कॉलेज सलंग्न चिकित्सालयो में सफाई कर्मियों से भी कम 7900 प्रतिमाह वेतन, उच्च योग्यता डिग्री,डिप्लोमाधारी प्रशिक्षित नर्सेज संवर्ग का असहनीय अपमान है। जिसे बर्दास्त नही किया जा सकता।
वही नर्सिंग भत्ता, वर्दी भत्ता,विशेष वेतन भत्ता, हार्ड ड्यूटी भत्ता, मेस भत्ते में वृद्धि,,संविदा सेवा से नियमित हुए नर्सेज के संविदा सेवाकाल की नोसनल गणना ,नर्सिंग ट्यूटर एवम एएनएम वर्ग का पदनाम परिवर्तन ,ठेका प्रथा से भर्ती पर पूर्ण प्रतिबंध तथा समस्त संविदा नर्सेज का नियमित करण, स्वतंत्र नर्सिंग निदेशालय की स्थापना, नर्सिंग ट्यूटर एवम सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद को राजपत्रित कर प्रशिक्षण केंद्रों पर कार्यरत प्रिंसिपल वाइस प्रिंसिपल को आहरण वितरण अधिकार देना, नर्सिंग छात्रों के स्टाईपेड़ मे वृद्धि करना, ड्रेस कोड में परिवर्तन करना, नर्सेज को प्राथमिक उपचार एवम आवश्यक जीवन रक्षक दवाई लिखने का अधिकार देना, एएनएम जीएनएम प्रशिक्षण केंद्रों को चिकित्सा एवम स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सा शिक्षा विभाग में लेना, सभी जिला चिकित्सालयों में क्रेच सुविधा उपलब्ध कराना इत्यादि मांगे लंबित है। जिनका साढ़े चार वर्ष के इंतजार के बाद भी आज दिनांक तक समाधान नहीं होने से नर्सेज की धैर्य की सीमा अब समाप्त हो गई है।