कोरोना की लंबी चुप्पी के बाद फिर शुरू हुआ रूबरू बातचीत का सिलसिला

जयपुर। कोरोना की लंबी चुप्पी के बाद राजस्थान फोरम ने डेज़र्ट सोल श्रंखला के तहत विभिन्न विशेषज्ञों से रूबरू बातचीत का सिलसिला फिर से शुरू किया। इस कड़ी का पहला कार्यक्रम शनिवार को आईटीसी राजपूताना के भव्य परिवेश में हुआ। इस मौके पर जानी-मानी पुरातत्ववेत्ता, इतिहासकार और लेखिका डॉ. रीमा हूजा ने अपने रचनात्मक सफर के अनुभव साझा किए। इसी क्षेत्र के जानकार पूजा अग्रवाल ने रीमा से विभिन्न सवालों के जरिए उनके इस क्षेत्र में किए गए कार्यों और अनुभवों को साकार किया।

बातचीत में रीमा ने कहा रीमा हुजा ने कहा कि तमाम परिवर्नो के बावजूद जयपुर शहर का पारंपरिक स्वरूप बरकरार है लेकिन चौपड़ों के स्वरूप में इस परंपरा का ध्यान नहीं रखा गया है खासकर चोपडों के चारों और बसे फूल वालों को हटा देने से तो मानो इसका पारंपरिक रूप खत्म ही हो गया. उन्होंने कहा कि यह खेद का विषय है कि हम भविष्य की दौड़ में परंपराओं को भूलते जा रहे हैं, अगर हम अतीत और परंपराओं को साथ लेकर नहीं चले तो जयपुर जैसे शहर के साथ नाइंसाफी होगी

उन्होंने कहा कि शहर की इमारतों में जगह जगह चूने गारे की जगह सीमेंट लगाने से भी इमारतों का पारंपरिक रूप खंडित हो रहा है। रीमा ने कहा कि अगर हम जयपुर के पारंपरिक स्वरूप के साथ ज्यादा छेड़ छाड़ करेंगे तो वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का खिताब हमसे छीना भी जा सकता है।

आयोजित होंगे कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम

इस मौके पर राजस्थान फोरम के अध्यक्ष पद्मभूषण पं. विश्व मोहन भट्ट, फोरम की एग्जीक्यूटिव सैक्रेटरी अपरा कुच्छल, फोरम के गणमान्य सदस्य पद्मश्री शाकिर अली, पद्मश्री गुलबो, पद्मश्री रामकिशोर छीपा, पद्मश्री मुन्ना मास्टर, इकराम राजस्थानी, विद्या सागर उपाध्याय, नंद भारद्वाज, डॉ मधु भट्ट तैलंग, अंकित पटेल सहित शहर के प्रबुद्ध लोग मौजूद थे।

राजस्थान फोरम के अध्यक्ष विश्वमोहन ने बताया कि फोरम ने कोरोना काल में कला और कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए सत्तर से भी अधिक ऑन लाइन कार्यक्रम आयोजित कर संगीत, नृत्य, नाटक, चित्रकला, मूर्तिकला और साहित्य से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित किया। अब चूंकि कोरोना का सिलसिला थम सा गया है ऐसे में कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए हर महीने डेज़र्ट सोल श्रंखला के ऑफ लाईन और चतुरंग श्रंखला के ऑन लाईन संस्करण आरम्भ किए हैं। फोरम ने अपने कार्यक्रमों की श्रंखला में अब भूतपूर्व सैनिकों और खिलाड़ियों को योगदान को चिन्हित करने के कार्यक्रम भी शामिल किए हैं

इस कड़ी में आगामी 20 नवम्बर को आईटीसी राजपूताना में लेफ्टीनेंट जनरल सुशील कुमार गुप्ता के कृतित्व पर बातचीत का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इससे पूर्व 13 नवम्बर को जाने-माने चित्रकार और कला संग्राहक विनय शर्मा चतुरंग ऑन लाइन श्रंखला के तहत अपने कलात्मक सफर कहानी सुनाएंगे।

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