उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ का आरोप- मंत्री कल्ला और गहलोत के मिस मैनेजमेंट से पैदा हुआ बिजली संकट

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जयपुर : बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान विधानभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश के बिजली विभाग के मंत्री डॉ बीडी कल्ला से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रदेश में पैदा हुए बिजली के भीषण संकट के हालात की वजह राज्य सरकार का मिस मैनेजमेंट और गलत नीतियां हैं। आरोप हैं कि राज्य सरकार ने समय पर कोल कम्पनियों को पेमेंट नहीं किया। मिस मैनेजमेंट की वजह से प्रदेश को कोल कम्पनियों ने पूरा कोयला नहीं दिया। इसी कोयले की कमी के कारण राजस्थान के कई पॉवर प्लांट्स की बिजली प्रोडक्शन यूनिट बन्द करनी पड़ी हैं। मौजूदा त्योहारी सीजन में बिजली की मांग सबसे ज्यादा होती है। लेकिन सरकार के मिस मैनेजमेंट से व्यापारी और आम लोग परेशान हैं। सरकार को त्योहारी सीजन में बिजली की डिमांड का पहले ही अनुमान लगाकर बन्दोबस्त कर लेने चाहिए थे। लेकिन सरकारी अव्यवस्थाओं के कारण पिछले 3 महीनों में दूसरी बार प्रदेश आज बिजली संकट से जूझ रहा है।

समय पर पेमेंट नहीं करने के लिए गहलोत सरकार जिम्मेदार

राठौड़ ने कहा कि राज्य में बिजली वितरण कम्पनियों को समय पर बकाया भुगतान नहीं कराए जाने से पैदा हुए कोयला संकट के लिए गहलोत सरकार जिम्मेदार है। राज्य सरकार के इस आलसी रवैये के कारण प्रदेश में एक बार फिर से बिजली का सिस्टम हांफने लग गया है और गांवों-शहरों में अघोषित बिजली कटौती से ज्यादातर आबादी अंधेरे की चपेट में है। उन्होंने कहा कि डिस्कॉम कोल सप्लाई करने वाली कंपनियों को तय कॉन्ट्रैक्ट के तहत समय पर पेमेंट नहीं कर पा रहा है।जिस वजह से एक बार फिर सरकार को एक्सचेंज से बिजली खरीदने के लिए अधिकतम खरीद रेट की सीलिंग हटानी पड़ रही है।

कई प्लांट्स की बिजली प्रोडक्शन यूनिट्स हैं बन्द

राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से टाइम पर कोल कंपनियों को भुगतान नहीं करने और कुप्रबंधन के कारण कोयले की कमी हुई है। सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 250-250 मेगावट की 5 यूनिट बंद हैं और तकनीकी कारणों से छबड़ा की 660 मेगावाट की 1 यूनिट, काली सिंध की 600 मेगावाट की 1 यूनिट और छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 3 यूनिट बंद हैं।

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थर्मल प्लांट्स बन्द होने के कगार पर

राजेन्द्र राठौड़ ने बिजली की कटौती और संकट के हालात को लेकर सरकार पर खुला आरोप लगाया है कि राज्य की कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला एक ओर जहां 24 हजार 690 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन के साथ राजस्थान को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का दम्भ भरकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश में सबसे ज्यादा बिजली पैदा करने वाले राजस्थान में सरकारी कुप्रबंधन की वजह से समय पर कोयले की सप्लाई नहीं आने के कारण अरबों रुपए की लागत से बने ज्यादातर थर्मल पावर प्लांट बन्द होने के कगार पर हैं। कई प्लांट्स की यूनिट बन्द हो भी चुकी हैं।

राजस्थान की जनता से सबसे महंगी बिजली रेट वसूली जा रही

उन्होंने आरोप लगाया कि देश में सबसे ज्यादा महंगी बिजली राजस्थान में वसूली जा रही है। स्थायी शुल्क और वेरिएबल कॉस्ट के नाम पर विद्युत उपभोक्ताओं पर पहले से ही गैर जरूरी भार लादा जा रहा है और अब प्रदेश में पैदा हुए बिजली के इस संकट से यह तय है कि एक बार फिर सरकार बिजली की रेट्स में बढ़ोतरी कर बिजली उपभोक्ताओं की जेब ढीली कर अपनी तिजोरी भरने का काम करेगी।

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