नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस बंद करने का आदेश दिया है। इन सभी मामलों से जुड़ी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित थीं। CJI जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को कहा कि इतना समय गुजरने के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। वहीं, एक अन्य मामले में कोर्ट ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को राहत के लिए अपील करने की इजाजत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस में निचली अदालतें फैसला सुना चुकी हैं। इनमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी NHRC की याचिका भी शामिल है, जिसमें दंगों के दौरान हुई हिंसा की जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने दंगा पीड़ितों और सिटीजंस फॉर जस्टिस नाम के NGO की रिट याचिका पर भी विचार किया। NGO ने 2003-2004 में दाखिल याचिका में दंगों की जांच गुजरात पुलिस से लेकर CBI को सौंपने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच में जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल हैं। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही गुजरात दंगों से जुड़े 9 केस की जांच के लिए SIT गठित कर चुका है। इनमें से 8 केस का ट्रायल पूरा हो चुका है। नारोदा गांव से जुड़े मामले की सुनवाई अभी जारी है।