क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हुई संसदीय स्थाई समिति की बैठक, सदस्यों ने रखी रेग्युलेट करने की मांग

क्रिप्टोकरेंसी

नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति की बैठक हुई है। स्थाई समिति के चेयरमैन जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने माना कि क्रिप्टोकरेंसी पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। लेकिन इसे रेग्युलेट किये जाने की जरुरत है। बैठक में कुछ सदस्यों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेशकों के निवेश की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जाहिर की है।

संसदीय स्थाई समिति के सदस्यों ने सरकार के अधिकारियों से उनके समक्ष उपस्थित होकर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उनकी चिंताओं को दूर करने को कहा है। सदस्य चाहते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने के लिये एक पुख्ता ढांचा तैयार किया जाये। सूत्रों के मुताबिक बैठक में एक सदस्य ने अखबारों में क्रिप्टोकरेंसी के फुल पेज विज्ञापन को लेकर भी हैरानी जताई है।

स्थाई समिति की पहली बैठक

यह पहली मौका है जब वित्त मंत्रालय से जुड़ी स्थाई समिति ने क्रिप्टो करेंसी उद्योग के स्टेकहोल्डर्स को औपचारिक रूप से चर्चा करने के लिए बैठक की है। बैठक में क्रिप्टोफाइनैंस में संभावनाओं और चुनौतियों को लेकर चर्चा की गई। बैठक में क्रिप्टो एक्सचेंजों के स्टेरहोल्डरर्स, ब्लॉकचैन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल के सदस्यों ने शिरकत की है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी द्बारा बुलाई गई बैठक में ये भी तय किया गया अनरेग्युलेटेड क्रिप्टो बाजारों को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग का जरिया नहीं बनने दिया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ये बैठक बहुत ही व्यापक थी जिसमें हर पहलुओं को लेकर चर्चा की गई। आरबीआई, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय ने पूर्व में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर देश और दुनियाभर के एक्सपर्ट के साथ इस बारे में विचार विमर्श किया है। दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी के उदाहरणों और बेस्ट प्रैक्टिस का भी अद्ययन किया गया है। जिसके बाद खुद प्रधानमंत्री ने ये बैठक बुलाई थी।

जारी रहेगी विशेषज्ञों स्टेकहोल्डरों से चर्चा

सरकार इस तथ्य से अवगत है कि क्रिप्टोकरेंसी एक विकसित तकनीक है इसलिए सरकार इस पर कड़ी नजर रखेगी और सक्रिय कदम उठाएगी। बैठक में इस बात पर भी सहमति थी कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र में जो कदम उठाये जायेंगे वो प्रगतिशील और दूरदर्शी वाली होगी। सरकार विशेषज्ञों और अन्य स्टेकहोल्डरों के साथ सक्रिय रूप से चर्चा जारी रखेगी। चुंकि यह मुद्दा अलग-अलग देशों की सीमाओं से जुड़ा है, इसलिए यह महसूस किया गया कि इसके लिए वैश्विक भागीदारी और सामूहिक रणनीतियों पर भी चर्चा की जाएगी।

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