प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अमृतसर में जलियांवाला बाग के रीडेवलप्ड कैंपस का उद्घाटन किया

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अमृतसर में जलियांवाला बाग के नए स्वरूप का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि पंजाब की वीर भूमि को, जलियांवाला बाग की पवित्र मिट्टी को मेरा प्रणाम। मां भारती की उन संतानों को भी नमन, जिनके भीतर जलती आजादी की लौ को बुझाने के लिए अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गईं। वे मासूम बालक-बालिकाएं, बहनें, भाई, जिनके सपने आज भी जलियांवाला बाग की दीवारों में अंकित गोलियों के निशान में दिखते हैं। वह शहीदी कुआं, जहां अनगिनत माताओं-बहनों की ममता छीन ली गई, उनका जीवन छीन लिया गया। उन सभी को आज हम याद कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री के स्पीच की खास बातें…

जलियांवाला बाग वह जगह है, जिसने सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे अनगिनत क्रांतिवीरों, बलिदानियों, सेनानियों को हिंदुस्तान की आजादी के लिए मर-मिटने का हौसला दिया। 13 अप्रैल 1919 के वे 10 मिनट, हमारी आजादी की लड़ाई की वह सत्यगाथा बन गए, जिसके कारण आज हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं। ऐसे में आजादी के 75वें साल में जलियांवाला बाग स्मारक का आधुनिक रूप देश को मिलना, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का अवसर है।

जलियांवाला बाग जैसी ही एक और विभीषिका हमने भारत विभाजन के समय भी देखी है। पंजाब के परिश्रमी और जिंदादिल लोग तो विभाजन के बहुत बड़े भुक्तभोगी रहे हैं। विभाजन के समय जो कुछ हुआ, उसकी पीड़ा आज भी हिंदुस्तान के हर कोने में और खासकर पंजाब के परिवारों में हम अनुभव करते हैं। किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इसलिए, भारत ने हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।

आज दुनियाभर में कहीं भी, कोई भी भारतीय अगर संकट से घिरता है तो भारत पूरे सामर्थ्य से उसकी मदद के लिए खड़ा हो जाता है। कोरोना काल हो या फिर अफगानिस्तान का संकट, दुनिया ने इसे लगातार अनुभव किया है। ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से सैकड़ों साथियों को भारत लाया जा रहा है।

आजादी के महायज्ञ में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान है। इतिहास की किताबों में इसको भी उतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था। देश के 9 राज्यों में इस समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष को दिखाने वाले म्यूजियम्स पर काम चल रहा है।

देश की ये भी आकांक्षा थी कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए राष्ट्रीय स्मारक होना चाहिए। मुझे संतोष है कि नेशनल वॉर मेमोरियल आज के युवाओं में राष्ट्र रक्षा और देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने की भावना जगा रहा है।

पंजाब में तो शायद ही ऐसा कोई गांव, ऐसी कोई गली है जहां शौर्य और शूरवीरता की गाथा न गाता हो। गुरुओं के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए पंजाब के बेटे-बेटियां मां भारती की तरफ टेढ़ी नजर रखने वालों के सामने चट्टान बनकर खड़े हो जाते हैं।

हमारे पुलिस के जवानों और अर्धसैनिक बलों के लिए भी आजादी के इतने दिनों तक देश में कोई राष्ट्रीय स्मारक नहीं था।आज पुलिस और अर्धसैनिक बलों को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक भी देश की नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है।
गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव हो, गुरु गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाशोत्सव हो या फिर गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाशोत्सव हो। केंद्र सरकार ने प्रयास किया है कि पूरी दुनिया में इन पावन पर्वों के माध्यम से हमारे गुरुओं की सीख का विस्तार हो।

शहीदों के परिवार जलियांवाला बाग पहुंचे

जलियांवाला बाग गोलीकांड में जान गंवाने वाले शहीदों के परिवार इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। परिवारों ने सबसे पहले बाग में बने शहीद समारक को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीदों के परिवारों के लिए यहां एक पंडाल सजाया गया था।

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